भक्तिपूर्वक नमस्कार करीए छीए–के जेओए आत्मप्रसिद्धिनुं रहस्य प्रसिद्ध कर्युं.
प्रवचनोनुं लखाण मुख्य राखीने तेनी साथे छठ्ठी, सातमी तथा नवमी–दसमी वारनां
प्रवचनोनो मुख्यसार पण उमेरी देवामां आव्यो छे,–ए रीते आ विषय उपरना
गुरुदेवना पांच वखतना प्रवचनो उपरथी आ लेखमाळा तैयार थई छे.
फरीने एवी रीते घूंटया छे के शांतचित्ते तेनी स्वाध्याय करतां चैतन्यपरिणति जाणे के
आत्मस्वभावनी आसपास घूमती होय...एवुं लागे छे. शुद्धचैतन्यनो महिमा तो
आखी लेखमाळामां सळंगपणे भरपूर छे...चैतन्य महिमारूपी दोरीना आधारे ज आ
लेखामाळा गूंथायेली छे...एटले तेनी सळंग स्वाध्याय करतां करतां मुमुक्षु–आत्मार्थी
जीवोने एवो चैतन्यमहिमा जागे छे के जाणे हमणां ज तेमां ऊतरीने तेनो साक्षात्
अनुभव करी लईए...अनेक जिज्ञासुओ आत्मसन्मुखताप्रेरक आ लेखमाळानी फरी
फरीने स्वाध्याय करे छे. खरेखर, आ लेखमाळा द्वारा गुरुदेवे आत्मार्थी जीवो उपर
मोटो उपकार कर्यो छे.
चैतन्यमहिमानुं फरी फरीने घूंटण थतां मारी आत्मरुचिने घणुं पोषण मळ्युं छे; अने
ए रुचि आगळ वधीने भगवान आत्मानी प्रसिद्धिना मारा पुरुषार्थने शीघ्र सफळ
बनावो– एवी गुरुदेवना चरणोमां नम्रभावे प्रार्थना छे.
क्यां क्यां छपायेला छे तेनी यादी अहीं आपवामां आवी छे.
नंबर
नंबर