Atmadharma magazine - Ank 179
(Year 15 - Vir Nirvana Samvat 2484, A.D. 1958)
(Devanagari transliteration).

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भादरवोः २४८४ः ११ः
* आ लेखमाळा संबंधी
अंतिम निवेदन *
“अनेकान्त” द्वारा अनंतधर्मस्वरूप भगवान आत्माने प्रसिद्ध करती आ
महान लेखमाळा समाप्त थाय छे ते प्रसंगे आचार्यभगवंतोने अने गुरुदेवने
भक्तिपूर्वक नमस्कार करीए छीए–के जेओए आत्मप्रसिद्धिनुं रहस्य प्रसिद्ध कर्युं.
समयसारना आ परिशिष्ट उपर पू. गुरुदेवना अनेक वखत प्रवचनो थयां छे.
तेमां आठमी वखतनां प्रवचनो खूब विस्तृत अने चैतन्यमस्तीथी भरपूर हतां. ते
प्रवचनोनुं लखाण मुख्य राखीने तेनी साथे छठ्ठी, सातमी तथा नवमी–दसमी वारनां
प्रवचनोनो मुख्यसार पण उमेरी देवामां आव्यो छे,–ए रीते आ विषय उपरना
गुरुदेवना पांच वखतना प्रवचनो उपरथी आ लेखमाळा तैयार थई छे.
आत्मस्वरूपने प्रसिद्ध करनारी आ लेखमाळा अद्भुत छे, जैनशासनना
अनेक रहस्योने–खास करीने आत्मअनुभवना उपायने–गुरुदेवे आ प्रवचनोमां फरी–
फरीने एवी रीते घूंटया छे के शांतचित्ते तेनी स्वाध्याय करतां चैतन्यपरिणति जाणे के
आत्मस्वभावनी आसपास घूमती होय...एवुं लागे छे. शुद्धचैतन्यनो महिमा तो
आखी लेखमाळामां सळंगपणे भरपूर छे...चैतन्य महिमारूपी दोरीना आधारे ज आ
लेखामाळा गूंथायेली छे...एटले तेनी सळंग स्वाध्याय करतां करतां मुमुक्षु–आत्मार्थी
जीवोने एवो चैतन्यमहिमा जागे छे के जाणे हमणां ज तेमां ऊतरीने तेनो साक्षात्
अनुभव करी लईए...अनेक जिज्ञासुओ आत्मसन्मुखताप्रेरक आ लेखमाळानी फरी
फरीने स्वाध्याय करे छे. खरेखर, आ लेखमाळा द्वारा गुरुदेवे आत्मार्थी जीवो उपर
मोटो उपकार कर्यो छे.
–आवी महत्त्वनी अने विस्तृत लेखमाळा पू. गुरुदेवना निकट सान्निध्यना
प्रतापे ज पूरी थई छे...आ लेखमाळाना लेखनमां उपयोग वखते, तेमां दर्शावेला
चैतन्यमहिमानुं फरी फरीने घूंटण थतां मारी आत्मरुचिने घणुं पोषण मळ्‌युं छे; अने
ए रुचि आगळ वधीने भगवान आत्मानी प्रसिद्धिना मारा पुरुषार्थने शीघ्र सफळ
बनावो– एवी गुरुदेवना चरणोमां नम्रभावे प्रार्थना छे.
–ब्र. हरिलाल जैन
* * *
आ लेखमाळानुं लखाण एक हजार पानां उपरांत छे. कोई जिज्ञासुने तेनी
सळंग स्वाध्याय करवी होय तो उपयोगी थाय ते माटे तेना लेखो ‘आत्मधर्म’ मां
क्यां क्यां छपायेला छे तेनी यादी अहीं आपवामां आवी छे.
लेखअंक
नंबर
लेखअंक
नंबर
ज्ञान लक्षणथी प्रसिद्ध थतो अनंतधर्मस्वरूप९७(३) द्दशिशक्ति९९
अनेकान्तमूर्ति आत्मा(४) ज्ञानशक्ति१००
आत्माना ज्ञानमात्रभावमां उछळती अनंत शक्तिओ९८(प) सुखशक्ति१०२
अनेकान्तमूर्ति भगवान आत्मानी केटलीक शक्तिओ(६) वीर्यशक्ति१०२
(१)जीवत्व शक्ति९८(७) प्रभुत्वशक्ति१०३
(२)चितिशक्ति९९(८) विभुत्वशक्ति१०४
(९) सर्वदर्शित्वशक्ति१०६