– सारथी संतप्त जीवोने शांतिनी झांखी करावतुं अजोड आध्यात्मिक – मासिक
वर्ष १६ मुं
अंक ३ जो
पोष
वी. सं. २४८५
: संपादक :
रामजी माणेकचंद दोशी
१८३
सर्वज्ञनी स्तुति
सर्वज्ञ भगवाननी निश्चय स्तुतिनो संबंध
सर्वज्ञ साथे नथी, पण पोताना आत्मस्वभावनी
साथे ज छे. ज्यांसुधी सर्वज्ञ उपर ज लक्ष रहे ने
पोताना आत्मस्वभावमां लक्ष न करे त्यां सुधी
सर्वज्ञ भगवाननी निश्चय स्तुति थती नथी. मारो
आत्मा ज सर्वज्ञ शक्तिथी परिपूर्ण छे–एम
प्रतीतमां लईने निजस्वभाव साथे जेटली एकता
करे तेटली सर्वज्ञ भगवाननी निश्चय स्तुति छे. अने
सर्वज्ञ तरफना बहुमाननो भाव आवे ते व्यवहार
स्तुति छे.