पूज्य श्री कानजीस्वामी दिगंबर जैन तीर्थयात्रा संघना
यात्रिकोने विनंति
(१) जेओए यात्रासंघमां यात्रिक तरीके नामो नोंधाव्यां होय तेमणे बसनुं बाकीनुं टिकिटभाडुं पोष वद
८, रविवार ता. १–२–५९थी महा सुद ५, गुरु ता. १२–२–५९ सुधीमां नीचेना स्थळे मोकलवुं.
(अ) मुंबई–मद्रास(अर्ध–यात्रा)ना यात्रिकोए बाकी रहेला रूा. ८०) एंशी मोकलवा.
(ब) मुंबई–ईडर(आखी यात्रा)ना यात्रिकोए बाकी रहेला रूा. १३०) एकसो त्रीस मोकलवा.
(आखी यात्राना माईलेज वधवाना कारणे रूा. ५) वधु लेवानुं ठराव्युं छे.)
स्थळ :–श्री दिगंबर जैन मुमुक्षु मंडळ,
१७३–१७५, मुंबा देवी रोड, झवेरी बजार, मुंबई नं. २
(२) यात्रिकोए पोतानी (बसनी) बेठकनी माहिती मेळववा ता. १४ तथा १५–२–५९ना दिने उपरना
स्थळे पधारवा विनंति छे.
(३) यात्रासंघ महा सुद ८, सोम तारीख १६–२–५९ना दिने सवारे मुंबईथी प्रयाण करशे.
–श्री दि. जैन तीर्थयात्रा संघ व्यवस्थापक कमिटी
धर्मनो संबंध कोनी साथे छे?
आत्माना धर्मनो संबंध कोई बीजा साथे नथी, पण धर्मी एवा पोताना आत्मा साथे ज धर्मनो संबंध छे.
(१) शुं भगवानना आत्मा साथे आ आत्माना धर्मनो संबंध छे? ना;
(२) शुं महाविदेह वगेरे क्षेत्रनी साथे आ आत्माना धर्मनो संबंध छे? ना;
(३) शुं चोथो काळ वगेरे काळनी साथे आ आत्माना धर्मनो संबंध छे? ना;
(४) शुं रागादि भावो साथे आ आत्माना धर्मनो संबंध छे? ना;
–आ रीते कोई पण परद्रव्य, परक्षेत्र, परकाळ के परभावनी साथे आ आत्माना धर्मनो संबंध नथी,
पण पोताना स्वद्रव्य–स्वक्षेत्र–स्वकाळ ने स्वभावनी साथे ज पोताना धर्मनो संबंध छे; ते आ प्रमाणे–
(१) अनंतशक्तिना पिंडरूप शुद्धचैतन्य द्रव्यनी साथे ज धर्मनी एकता छे.
(२) असंख्य प्रदेशी पोतानुं चैतन्यक्षेत्र ते ज धर्मनुं क्षेत्र छे.
(३) स्वभावमां अभेद थयेली स्वपरिणति ते ज धर्मनो काळ छे. अने
(४) ज्ञान–दर्शन–आनंद वगेरे अनंत गुणो ते ज आत्माना धर्मना भाव छे.
–आवा स्वद्रव्य–स्वक्षेत्र–स्वकाळ ने स्वभाव साथे ज आत्माना धर्मनो संबंध छे.
माटे हे जीव! परद्रव्य–परक्षेत्र–परकाळ ने परभावोथी अत्यंत भिन्नता जाणीने. तारा स्वभावमां अंतर्मुख था.
आत्मधर्मना वाचकोने
पू. गुरुदेव, मुमुक्षु मंडळ आदि दक्षिण देशना तीर्थोनी यात्राए पधारेल होवाथी सोनगढ खातेनुं
“आत्मधर्मनुं” व्यवस्थापक मंडळ हाल बंध छे, तो ‘आत्मधर्म’ नी रवानगी के अन्य कोई सूचना करवानी
होय ते नीचेना सरनामे करवी.
हरिलाल देवचंद शेठ
आनंद प्रि. प्रेस–भावनगर.