ज्ञान–दर्शन–आनंदना भावो ज आत्मानुं स्व
छे, ए सिवाय बीजुं कांई आत्मानुं स्व नथी
ने आत्मा तेनो स्वामी नथी.
पोतानुं मानीने, पर साथे संबंध जोडीने जीव
संसारमां रखडी रह्यो छे. आचार्यदेव कहे छे के
हे जीव! तारुं ‘स्व’ शुं छे ने वास्तविक संबंध
कोनी साथे छे ते ओळख. ज्ञान–दर्शन
–चारित्ररूप जे तारा भावो छे ते ज तारुं स्व
छे, ने तेनो ज तुं स्वामी छो,–एम जाणीने
तारा स्वभाव साथे संबंध जोड, ने पर
साथेनो संबंध तोड; एटले के स्वथी एकत्व
कर, ने परथी विभक्त था.–आवा एकत्व–
विभक्तपणामां ज तारी शोभा छे.