बंधनथी छोडाववा मांगतो होय तेनी आ
वात छे. ते जीव आत्मा साथे संबंध जोडीने
जगत साथेनो संबंध तोडे छे. ते आ प्रमाणे–
के कोनाथी हुं राजी थाउं? दुनिया दुनियामां,
ने हुं मारामां; हुं ज्ञान, ने पदार्थो ज्ञेय; ज्ञेयो
ज्ञेयपणे तेमना उत्पाद–व्यय–ध्रुवमां परिणमी
रह्यां छे, हुं मारा ज्ञानस्वभावमां ज स्वकीय
उत्पादव्यय–ध्रुवरूपे परिणमुं! आम निर्णय
करीने धर्मीजीव ज्ञानस्वभावने आश्रित ज
निर्मळभावे परिणमे छे. आ रीते
ज्ञानस्वभावमां उपयोगने जोडतां पर
साथेनो संबंध तूटी जाय छे. अने
एकत्वस्वभावनी भावनामां लीन एवो ते
आत्मा पर साथेनो संबंध अत्यंत तोडीने
सिद्धपदने पामे छे.