होय तो, पर साथेनो संबंध तोडी, स्वभावमां एकता करीने
शांतिनो अनुभव थई शके नहि,–परथी जुदो पडीने पोताना
स्वरूपमां समाई जई शके नहि. परंतु परथी विभक्त ने
स्वरूपमां एकत्व थईने आत्मा पोतामां ज पोतानी शांतिनुं
वेदन करी शके छे, पोतानी शांतिना वेदन माटे आत्माने परनो
संबंध करवो पडतो नथी, केमके पोतानी शांति पोतामां ज छे.
माटे हे जीव! बहारमां शांति न शोध; तारा अंतरमां ज शांति
छे–एनो विश्वास करीने अंतर्मुख था, तो तारामां ज तने तारी
शांतिनुं वेदन थशे.