Atmadharma magazine - Ank 184
(Year 16 - Vir Nirvana Samvat 2485, A.D. 1959)
(Devanagari transliteration).

< Previous Page   Next Page >


PDF/HTML Page 4 of 25

background image
आत्मधर्म
वर्ष सोळमुं संपादक महा
अंक ४ थो रामजी माणेकचंद दोशी २४८प
मुंबईनगरीमां
उजवाएल
अभूतपूर्व पंचकल्याणक
प्रतिष्ठा–
महोत्सव
दक्षिणना तीर्थधाम श्री
बाहुबलिजी आदि पवित्र तीर्थधामनी
मंगळ यात्रा निमित्ते मुंबई नगरीना
पंचकल्याणक प्रतिष्ठा महोत्सव
निमित्ते परमप्रभावी पू. गुरुदेव श्री
कानजीस्वामीए सोनगढथी पोष शुद
छठना रोज मंगल प्रस्थान कर्युं अने
ज्यां पांच करोड मुनिवरो सिद्धि
पाम्यां छे, एवा सिद्धक्षेत्र श्री
पावागढ तीर्थनी यात्रा करीने मार्गमां
नाशीक जाहेर आदि स्थळोए थईने
मुंबई शहेरमां पोष सुद १पना रोज पधारतां हजारो भक्तजनोए पू. गुरुदेवनुं उमळकाभर्युं जे स्वागत कर्युं
तेना समाचार ‘आत्मधर्म’ ना पोष मासना अंकमां अपाई गया छे.
मुंबईना श्री दिगंबर जैन मुमुक्षु मंडळ द्वारा मम्बादेवी प्लोटमां निर्माण करवामां आवेल भव्य
दिगंबर जिनमंदिरमां तीर्थंकर परमदेव १००८ श्री नेमीनाथ भगवानना वीतराग भावप्रतिपादक
जिनबिम्बनी पंचकल्याणकपूर्वक प्रतिष्ठा महोत्सव निमित्ते
मुंबईनगरीनो भव्य प्रतिष्ठामंडळ
ज्यां अभूतपूर्व पंचकल्याणक प्रतिष्ठा महोत्सव ऊजवायो.....अने ज्यां पंदर–पंदर हजारनी
मानवमेदनीए पू. गुरुदेवना श्रीमुखथी जिनेश्वरभगवंतोनो पवित्र धर्मसन्देश सांभळ्‌यो