बाहुबली भगवाननी यात्रा अर्थे फरीने
गुरुदेवे भावपूर्वक बाहुबली प्रभुना
चरणोनो अभिषेक कर्यो हतो. त्यारबाद
कर्यो हतो. आ अभिषेक संबंधी
उछामणीमां तेमज रथयात्रा संबंधी
थया हता. आ रूां नो उपयोग अहींना
पर्वत उपर यात्राना स्मरणार्थे करवामां
बाजुथी फरी फरीने बाहुबलीनाथने
नयनभर नीरख्या....
..... बस, जाणे भगवानने
खूब भक्ति करी..आम बाहुबली
करीने गुरुदेव साथे आनंदथी भक्ति
करतां करतां भक्तो नीचे
बीजी जात्राथी भक्तोने घणो आनंद
थयो.
गुरुदेवे कह्युंः ‘जुओ, आ निरावरण
दुनियामां अजोड छे, ते भेदज्ञाननुं
निमित्त छे; चैतन्यशक्तिने खुल्ली करीने
चैतन्यने देखाडे छे. व्याख्यान पछी
दक्षिणीबहेनोए रासपूर्वक भक्ति करी
करीने श्रवणबेलगोल तरफ रवाना
थया.