हतुं.....मूलचंदजीनी भक्तिभीनी कळाए मुंबईनी जनताने मुग्ध करी हती.....नेम प्रभुने हाथी उपर देखीने
भक्त जनोए अद्भुत उल्लासथी आखे रस्ते जे भक्ति करी छे तेनुं स्मरण आजे पण हृदयने उल्लासित करे
छे...मुंबईनगरीमां जैनधर्मनुं आ प्रभावक द्रश्य देखीने भक्तो उल्लासथी नाची ऊठया हता......अहीं एक
वातनो उल्लेख करतां हर्ष थाय छे के जन्म कल्याणकना जुलुस माटेना बे हाथी ‘कमला सरकस’ तरफथी
होंसपूर्वक आपवामां आव्या हता....ज्यारे हाथीनी मांगणी करवामां आवी त्यारे तेना मालीके होंसथी जवाब
आप्यो के “भगवानना उंत्सवमां अमारा हाथी क्यांथी?” अने आ बदल तेमने एक हजार रूा. नी भेट
आपवा मांडी त्यारे तेनो अस्वीकार करतां तेमणे कह्युं केः आवा धर्मना काममां अमारा हाथी उपयोगमां आवे
ते अमारुं महाभाग्य छे; आवा कार्य माटे ज्यारे जरूर पडे त्यारे अमने कहेजो, अमे गमे त्यांथी अमारा हाथी
मोकलशुं. तेमनी आ भावना बदल कमला सरकसना मालीकने अभिनंदन घटे छे.
भगवाननो जन्माभिषेक थयो.....जन्माभिषेक प्रसंगनुं द्रश्य अद्भुत रोमांचकारी हतुं. जन्माभिषेक बाद
प्रतिष्ठामंडपमां आवीने ईंद्र–ईंद्राणीओए भक्तिथी तांडवनृत्य कर्युं हतुं. बपोरे बालतीर्थंकर नेमिकुमारनुं
पारणाझूलन थयुं हतुं.....पू. बेनश्रीबेने अतिशय भक्ति अने वात्सल्यथी भगवाननुं पारणुं झुलाव्युं हतुं....अने
बीजा हजारो भक्तोए पण भक्तिथी भगवाननुं पारणुं झुलाव्युं हतुं. रात्रे नेमकुमारना लग्नप्रसंगनी
राजसभानुं भव्य द्रश्य थयुं हतुं.... राजा–महाराजा तरीके अनेक प्रतिष्ठित गृहस्थोथी सभा शोभती हती.
भाववाळा हता; वैराग्य थतां लौकांतिक देवोनुं आगमन, भगवाननी स्तुति अने वैराग्यसंबोधन वगेरे द्रश्यो
थया हता. त्यारबाद भगवाननी दीक्षा माटे वनयात्रानो अभिभव्य वरघोडो नीकळ्यो थतो. दीक्षावनमां
(गोवालीआ टेन्क मेदानमां) २०–२प हजारनी उपस्थिति वच्चे भगवाननी दीक्षाविधि थई हती. दीक्षाविधि
बाद त्यां दीक्षावनमां गुरुदेवे अद्भुत भावभीना प्रवचन द्वारा मुनिदशानो अपार महिमा करीने तेनी भावना
व्यक्त करी हती. दीक्षाविधि बाद प्रभुना केशने समुद्रमां क्षेपण करवामां आव्या हता.
आनंद थयो हतो. प्रतिष्ठामंडपना प्रवेशद्वारा पासे नेमिनाथ भगवानना वैराग्य संबंधी एक घणी सुंदर रचना
करवामां आवी हती; नेमनाथ कुमारनो रथ, पशुओना पींजरा पासे आवतां ज भगवानने देखीने डोक ऊंची
करीने पशुओनो पोकार, वरमाळा पहेराववा उत्सुक राजुलमती वगेरे सुंदर रचना तेमां हती. आ उपरांत बीजी
रचनामां, गुरुदेवना प्रतापे थयेला सौराष्ट्र वगेरेना जिनमंदिरोनुं द्रश्य हतुं, तेमज बाहुबली भगवान हता.
आजे सवारमां गुरुदेवना प्रवचन बाद मुनिराज नेमप्रभुना आहारदाननो प्रसंग बन्यो हतो.....आ
प्रसंग शेठश्री मणिलालभाईना कुंटुंबीजनोने त्यां थयो हतो......अनेक भक्तो अतिशयभक्तिपूर्वक मुनिराजने
आहारदान करता हता अने पोताना जीवनने धन्य समजता हता....नेमनाथ मुनिराज आहारनो आ अति
भावभीनो प्रसंग नीहाळीने गुरुदेवनुं अंतर पण मुनिभक्तिथी ऊभरातुं हतुं, अने तेमणे अति भक्तिथी
स्वहस्ते मुनिभगवानने आहारदान कर्युं हतुं. गुरुदेवना जीवनमां आ प्रसंग अपूर्व हतो....एक बाळकनी जेम
नम्रभावे प्रसन्नचित्ते गुरुदेव ज्यारे मुनि–भगवानना करकमळमां केरीना रसनुं दान करी रह्या हता त्यारे खूब
ज भक्ति अने हर्षपूर्वक हजारो भक्तजनो तेनुं अनुमोदन करी