Atmadharma magazine - Ank 185
(Year 16 - Vir Nirvana Samvat 2485, A.D. 1959)
(Devanagari transliteration).

< Previous Page   Next Page >


PDF/HTML Page 17 of 25

background image
ः १६ः आत्मधर्मः १८प
मुंबई नगरीमां पू. गुरुदेव पधारतां हजारो भक्तोए उल्लासथी स्वागत कर्युं, अने प्रमुखश्री
मणिलालभाई शेठे अति उल्लासथी गद्गद्भावे स्वागत प्रवचन करीने गुरुदेवनुं स्वागत कर्युं.
प्रतिष्ठा महोत्सवनी शरूआत पहेलां छ भाईओए सजोडे आजीवन ब्रह्मचर्य प्रतिज्ञा अंगीकार करी; आ
उपरांत बीजा पण अनेक भाईओए सजोडे ब्रह्मचर्य प्रतिज्ञा अंगीकार करी.
प्रतिष्ठा महोत्सव संबंधी विधि माटे मम्मादेवी प्लोटमां ‘महावीरनगर’ नामनी सुंदर नगरी रचवामां
आवी हती, तेमां प्रतिष्ठामंडप खूब ज सुशोभित हतो.
महोत्सवनी शरूआतमां प्रतिष्ठा–मंडपमां श्री जिनेन्द्र भगवानने बिराजमान करीने झंडारोपण वगेरे
विधि थई हती. शरूआतना पूजनविधान तरीके ‘श्री समवसरण मंडलविधान’ थयुं हतुं. पूजननी पूर्णता थतां
श्री जिनेन्द्रदेवनो महाअभिषेक थयो हतो.
आचार्यअनुज्ञा तथा ईन्द्रप्रतिष्ठा बाद इन्द्रप्रतिष्ठानुं जुलूस नीकळ्‌युं हतुं, अने इन्द्रोए यागमंडलपूजन
कर्युं हतुं. माह सुद एकमथी नेमिनाथप्रभुना पंचकल्याणकना द्रश्योनी शरूआत थई हती....शरूआतमां
गर्भकल्याकना पूर्व द्रश्यो थया हता मंगलाचरण बाद, इंद्रसभामां नेमनाथप्रभुना अवतरण संबंधी चर्चा थाय
छे, शिवादेवीमाताने १६ मंगलस्वप्नो आवे छे, कुमारिकादेवीओ मातानी सेवा करे छे–वगेरे द्रश्यो थया हता.
(प्रतिष्ठामहोत्सवमां भगवानना माता–पिता थवानुं सौभाग्य शेठ श्री मणिलालभाई तथा तेमना धर्मपत्नी
सुरजबेनने मळ्‌युं हतुं, अने तेना उल्लासमां तेमणे रूा. १००००) प्रतिष्ठामहोत्सवमां अर्पण कर्या हता.
सौधर्मेन्द्र थवानुं सौभाग्य शेठश्री पुरणचंद्रजी झवेरी जयपुरवाळाने मळ्‌युं हतुं.
माह सुद बीजनी सवारे गर्भकल्याणकनुं द्रश्य थयुं हतुं. देवीओ शिवादेवी माता साथे प्रश्नोत्तररूपे सुंदर
तत्त्वचर्चा करे छे तेमज अनेक प्रकारे सेवा करे छे. त्रिलोकनाथ बावीसमा तीर्थंकर नेमप्रभु शिवादेवी मातानी
कूंखे आव्याना कल्याणकारी समाचार मळतां ज ईंद्रो आवीने भगवानना माता–पितानुं सन्मान करीने स्तुति–
पूजन करे छे, ईत्यादि द्रश्यो थया हता.
बपोरना प्रवचन बाद घणा उल्लासथी जिनमंदिरनी वेदी–कलश–ध्वजनी शुद्धिनी विधि थई हती...ईंद्रो–
ईंद्राणीओए तेमज कुमारिका देवीओए वेदिशुद्धि वगेरे विधि करी हती; ते उपरांत संघनी खास भावनाथी
वेदीशुद्धि वगेरेमां केटलीक महत्वनी क्रियाओ पवित्रात्मा पू. बेनश्री–बेन (चंपाबेन अने शांताबेन)ना सुहस्ते
थई हती. तेओश्री अतिशय भक्तिपूर्वक ज्यारे भगवाननी वेदीशुद्धि अने स्वस्तिकस्थापन वगेरे विधि करता
हता त्यारे भक्तजनो ते देखीने अति हर्षपूर्वक भक्ति करता हता.
आ प्रतिष्ठामहोत्सव प्रसंगे अजमेरनी प्रसिद्ध भजनमंडळी पण आवी हती; मंडळीना भाईओ विध–
विध प्रकारना भजन–नृत्य वगेरेना कार्यक्रमथी दरेक प्रसंगने विशेष शोभावता हता. जन्मकल्याणकना वरघोडा
वखतनी अद्भुत भक्ति, तेमज राजीमती अने तेना पिताजीनो वैराग्यभर्यो संवाद वगेरे प्रसंगो देखीने
हजारो माणसो आश्चर्य पाम्या हता. आ उपरांत मंडळीए सर्पनृत्य, मारवाडीनृत्य वगेरेनो नमूनो पण
बताव्यो हतो. एक बालिकाए मयूरनृत्य कर्युं हतुं.
माह सुद त्रीजना दिवसे भगवानना जन्मकल्याणकनो अद्भुत महोत्सव थयो हतो... सवारमां
बावीसमा तीर्थंकर भगवान श्री नेमिकुमारना जन्मनी वधाई आवतां ज इन्द्रो ऐरावत हाथी लईने
जन्मकल्याणक ऊजववा आव्या...ने महावीरनगरने त्रण प्रदक्षिणो करी.....त्यारबाद भगवान नेमकुमारने हाथी
उपर बिराजमान करीने मेरूपर्वत उपर अभिषेक माटेनुं भव्य जुलुस नीकळ्‌युं...आ जन्मकल्याणकनो वरघोडो
अपूर्व हतो. अनेक बेन्ड पार्टीओ वगेरे वैभवथी सहित १प–२० हजार जेटला भक्तोनी भक्तिथी गाजतो
लगभग एक माईल लांबो आ वरघोडो देखीने मुंबईनी जनता मुग्ध बनी हती...वरघोडानुं सौथी मोटुं
आकर्षण बे हाथी हता. हाथी सहितनो आवो भव्य वरघोडो मुंबईना ईतिहासमां पहेलो ज हतो.....हाथी
माटेनी परवानगी मेळववा शेठ मणिलालभाईए बे लाख रूा. नी जामीनगीरी आपी हती. हाथी उपर
बिराजमान नेमप्रभुनुं आ भव्य जुलुस मुंबई नगरीना जे जे रस्तेथी पसार थतुं त्यांनो वाहन–व्यवहार
घडीभार थंभी जतो हतो...चारे कोरनी अटारीओ अने रस्ताओ