Atmadharma magazine - Ank 186
(Year 16 - Vir Nirvana Samvat 2485, A.D. 1959)
(Devanagari transliteration).

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चैत्रः २४८पः ६ ईः
श्वेतांबरनो अमुक अमुक टाईमनो वारो छे. बपोरे १२ाा वागतां गुरुदेव साथे भक्तो दर्शन करवा आव्या अने
पूजन भक्ति कर्यां.
बपोरे प्रवचनमां त्रण हजार जेटला माणसो हता. आसपासना गामोथी गाडां जोडी जोडीने हजारो
माणसो आव्या हता. प्रवचन बाद गुरुदेवने अभिनंदन पत्रो अपाया. सोनगढ प्रत्ये प्रेम धरावनार एक
भाईए “परम पारिणामिक भावनी जे” बोलावी हती. शिरपुरमां बीजुं एक प्राचीन दिगंबर जिनमंदिर छे.
त्यां दर्शन करीने संघे प्रस्थान कर्युं ने रात्रे कारंजा पहोंच्यां. कारंजा तरफ आवतां वच्चे बासीममां गुरुदेवनुं
स्वागत कर्युं अने गुरुदेवे त्यांना प्राचीन मंदिरोमां अमीझरा पार्श्वनाथ वगेरेनां दर्शन कर्या.
कारंजा (ता. २–४–प९)
फागण वद दसमना मंगलदिने पू. गुरुदेव कारंजा पधारतां भावभीनुं भव्य स्वागत थयुं. अहीं स्वागत
वखते जीप–मोटरमां गुरुदेवनुं द्रश्य घणुं शोभतुं हतुं.
कारंजामां ३ दिगंबर जिनमंदिरो छे, त्रणे मंदिरो सुंदर छे, तेमां सेंकडो भाववाही भगवंतो बिराजे छे.
एक मंदिरमां रत्न, पन्ना, नीलम, गरूड–मणि, सुवर्ण, चांदी, स्फटिक वगेरेना प्रतिमाओ छे, अने भोंयरामां
पार्श्वनाथादि भगवंतो बिराजे छे. बीजा मंदिरमां शास्त्रभंडार छे. आ उपरांत महावीर ब्रह्मचर्याश्रममां पण
जिनमंदिर छे, तेमां महावीरादि भगवंतोना मनोज्ञ प्रतिमाओ बिराजे छे, तेमज रत्न वगेरेना प्रतिमाओ तथा
धवल–जयधवलनी हस्तलिखित प्रतोपण छे. आ बह्मचर्याश्रममां गुरुदेवना स्वागतनो समारोह थयो हतो
अने गुरुदेवे त्यां २०० जेटला विद्यार्थीओ समक्ष १० मिनिट प्रवचन कर्युं हतुं. अहीं संघनी व्यवस्थामां
गुजराती भाईओए पण भाग लीधो हतो. अहींनो समाज स्वाध्यायनो प्रेमी छे अने गुरुदेवना प्रवचनो
सांभळवा माटे घणो रस धरावे छे. प्रवचनमां ३–४ हजार माणसो थया हता. पं. धन्यकुमारजीए स्वागत–
अभिनंदननुं प्रवचन कर्युं हतुं. रात्रे सम्यग्दर्शन वगेरे संबंधी अध्यात्मरस भरपूर तत्त्वचर्चा थई हती.
त्यारबाद महिलाश्रमना चैत्यालयमां शांतिनाथ प्रभुनी सन्मुख पू. बेनश्रीबेने सरस भक्ति करावी हती.
आजना मंगलदिने भक्ति करतां भक्तोने घणो आनंद थतो हतो. मात्र एक दिवसना कार्यक्रममां कारंजाना
समाजे घणा प्रेमपूर्वक लाभ लीधो हतो; अने अहीं एक दिवस वधारे रहेवा माटे खूब आग्रह कर्यो हतो, छेवट
एक कलाक वधारे रोकाईने पण एक प्रवचन आपवा विनंति करी हती. अहींना समाजनो तत्त्वश्रवणनो प्रेम
जोतां अहींने माटे एक दिवस ओछो गणाय; परंतु आगळना कार्यक्रमो नक्की थई गया होवाथी रोकाई शकाय
तेम न हतुं. अगासमां बिराजमान श्रीचंद्रप्रभु भगवानना प्रतिमा आ कारंजाना मंदिरथी आवेला छे.
महिलाश्रममां पू. गुरुदेव पधार्या हता अने पांच पांच वर्षनी नानी बाळाओए अध्यात्म गीतवडे स्वागत कर्युं
हतुं.
परतवाडा (एलचपुर)
फा. वद ११ना रोज सवारमां प्रस्थान करीने परतवाडा (एलचपुर) मां शेठ गेंदालालजी वगेरेना खास
आग्रहथी संघ त्यां भोजन माटे रोकायो; गुरुदेवनुं सुंदर स्वागत थयुं....श्याम थीएटरमां प्रवचन थयुं, तेमां
बहारगामना सेंकडो माणसो आव्या हता. प्रवचन बाद गुरुदेव मुक्तागिरि पधारतां पू. बेनश्रीबेन वगेरे
भक्तजनोए भावभीनुं स्वागत कर्युं अने केटलाक भक्तो सांजे पर्वत उपर जईने सिद्धक्षेत्रनां दर्शन करी
आव्या.
मुक्तागिरि–सिद्धक्षेत्र
मुक्तागिरि रळियामणुं, प्राचीन सौदर्यथी भरपूर सिद्धक्षेत्र छे, ३ाा करोड मुनिवरो अहींथी सिद्धि पाम्या
छे. रमणीय पर्वत उपर प१ जिनालयो छे; कोई कोई जिनालयो तो पर्वतनी गूफामां छे...दस नंबरनुं मंदिर
पर्वतनी विस्तृत गूफामां ज कोतरेलुं छे, चारे तरफ दिवालोमां पण जिनबिंब कोतरेला छे, ने वर्षाऋतुमां
लगभग २०० फूट ऊंचेथी पडतो पाणीनो धोध प्राकृतिक सौंदर्यथी जिनमंदिरने शोभावे छे. फागण वद १२नी
सवारमां आवा आ सिद्धिधामनी यात्रा गुरुदेव साथे शरू थई. शरूआतना १० मंदिरो बाद ११ थी २६ मंदिरो
एक विशाळ चोकमां छे. तेमां एक मंदिरमां बाहुबलि भगवान (दसेक फूटना) बिराजे छे. नं. २पनुं मंदिर खूब
प्राचीन छे ने हाल तेमां पार्श्वनाथप्रभुना प्राचीन प्रतिमा बिराजे छे, ते उपरांत दिवालोमां पण