Atmadharma magazine - Ank 186
(Year 16 - Vir Nirvana Samvat 2485, A.D. 1959)
(Devanagari transliteration).

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ः ८ः आत्मधर्मः १८६
आ प्रसंगे यात्रासंघना २प० माणसो उपरांत डुंगरगढथी स्पेश्यल बसमां शेठश्री भागचंदजी वगेरे अनेक
माणसो आव्या हता, आसपासना गामोथी अनेक माणसो आव्या हता, तेमज गामनी जनताए पण मोटी
संख्यामां भाग लीधो हतो. बपोरे शांतियज्ञ बाद खेरागढराजना जैन समाजे गुरुदेवने अभिनंदनपत्र आप्युं
अने प्रवचन बाद श्री जिनेन्द्र भगवाननी रथयात्रा नीकळी हती. आ रीते मात्र एकज दिवसमां पण पू.
गुरुदेवनी उपस्थितमां घणा उत्साहपूर्वक भगवाननी वेदीप्रतिष्ठानो उत्सव ऊजवायो हतो. आ रीते जिनमंदिर
बंधावीने पोताना आंगणे श्री जिनेन्द्र भगवाननी पधरामणी कराववा बदल उभय खेमराजजी शेठ तेमज
खेरागढना सौ मुमुक्षुओने धन्यवाद घटे छे.
खेरागढमां बे कुमारिका बहेनोए अंगीकार करेली
ब्रह्मचर्य प्रतिज्ञा
खेरागढ नगरमां चैत्रसुद एकमना रोज श्री
शांतिनाथ भगवाननी वेदीप्रष्ठिानो महोत्सव थयो ने पू.
गुरुदेव पोताना आंगणे पधार्या. आ मंगल प्रसंगे नीचेनी
बे कुमारिका बहेनोए पू. गुरुदेव पासे आजीवन ब्रह्मचर्य
प्रतिज्ञा अंगीकार करी हती–
(१) ताराबेन (शेठ खेमराजजीनी सुपुत्री, उमर वर्ष १८)
(२) जमनाबेन (शेठ घेवरचंदजीनी सुपुत्री, उमर वर्ष १७)
उपरनी बंने बहेनो बालब्रह्मचारी छे, अने
छेल्ला पांचेक वर्षथी सोनगढमां पू. बेनश्रीबेननी मंगल
छायामां रहीने तत्त्वनो अभ्यास करे छे; तेओ तत्त्वना
जिज्ञासु अने वैराग्यवंत छे. लगभग अढी वर्ष पहेलां
ज्यारे सोनगढमां १४ बहेनोए ब्रह्मचर्य प्रतिज्ञा लीधी
त्यारे तेओनी साथे ब्रह्मचर्य प्रतिज्ञा लेवानी आ बंने
बहेनोनी पण भावना हती. बंनेना वडीलो अने
कुंटुंबीजनोए हर्षपूर्वक तेमने आ कार्य माटे अनुमति
आपी छे. नानी उमरमां आत्महितनी भावनाथी आवुं
कार्य करवा बदल ते बंने बहेनोने धन्यवाद घटे छे.
ब्रह्मचर्य प्रतिज्ञा लेनार बंने बहेनो सोनगढमां ज रहे
छे. आ रीते गुरुदेवनी महामंगल शीतळ छायामां
हजारो माईल दूर दूरथी पण पोतानो देश छोडीने अनेक
जिज्ञासुओ आवे छे...खरेखर, गुरुदेव आ कळियुगनुं
कल्पवृक्ष छे.... के जेनी शीतळ छायामां मुमुक्षुओने
पोतानी ईच्छित वस्तु प्राप्त थाय छे. ब्रह्मचर्य प्रतिज्ञा
लेनारी बंने बहेनो सत्समागमे पोताना जीवनध्येयमां
आगळ वधे ने संतोनी छायामां पोतानुं आत्महित
साधे–एवी भावनापूर्वक तेमने अभिनंदन!