कपुरचंदजीनी खास आग्रहभरी विनंतिथी ३०० माईल जेटलो वधु प्रवास करीने पू. गुरुदेव संघ सहित
खेरागढ पधार्या.......गुरुदेव पधारतां नगरीने शणगारीने उल्लासभर्युं स्वागत कर्युं.
खेरागढमां दि. जैनमंदिर के दि. जैनोनी वसती न हती, परंतु पू. गुरुदेवना हितकर उपदेशना प्रभावे
उपरोक्त भाईओए दिगंबर जैनधर्म स्वीकारीने उत्साहपूर्वक खेरागढमां दि. जिनमंदिर बंधाव्युं अने
पू. गुरुदेव खेरागढ पधारतां तेओश्रीनी मंगलवर्द्धिनी छायामां आ जिनमंदिरमां शांतिनाथ भगवाननी
वेदीप्रतिष्ठानो उत्सव ऊजवायो...
विधिओ थई हती.....पू. गुरुदेवना प्रवचन बाद बे कुमारिका बहेनोने ब्रह्मचर्यप्रतिज्ञा अंगीकार करी
हती...त्यार बाद श्री जिनमंदिरमां वेदी वगेरेनी शुद्धिनी क्रिया थई हती....इंद्र–इंद्राणीओ अने कुमारिका
बहेनोना हस्ते वेदी शुद्धि थई हती, ते उपरांत यंत्रस्थापन, स्वस्तिक वगेरे विधिओ पू. बेनश्री बेनना
मंगळ हस्ते थई हती.....बपोरे १२ा वागे पू. गुरुदेवना मंगल हस्ते भगवानश्री शांतिनाथ प्रभुने
जिनमंदिरनी वेदी उपर स्थापन कर्या हता....गुरुदेवना हस्ते जिनेन्द्रदेवनी महामंगल स्थापनानुं
भावभीनुं द्रश्य देखीने भक्तोने घणो आनंद थतो हतो..... जिनेन्द्र भगवंतोनी प्रतिष्ठाना अनेक
मंगलकारी कार्यो पू. गुरुदेवना सुहस्ते थई रह्या छे... सौराष्ट्रथी हजार–हजार माईल करतांय वधारे दूर
आवेला नगरमां पण गुरुदेवना प्रतापे दिगंबर जिनमंदिर अने वेदीप्रतिष्ठा महोत्सव ऊजवायो, ए
हर्षनो विषय छे. भगवाननी वेदीप्रतिष्ठा घणा ज उत्साह थी थई हती. मात्र एक ज दिवसमां पण
अनेकविध कार्यक्रमोथी प्रतिष्ठा उत्सव खूब ज शोभी ऊठयो हतो.