Atmadharma magazine - Ank 186
(Year 16 - Vir Nirvana Samvat 2485, A.D. 1959)
(Devanagari transliteration).

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भारत–अभिनंदनीय गुरुदेव अभिनंदन अंक
वर्ष १६ मुं
अंक ६ ठो
चैत्र
वी. सं. २४८प
ः संपादकः
रामजी माणेकचंद शाह
१८६
समकिती धर्मात्मानी मुनिभक्ति
समकिती धर्मात्माने रत्नत्रयना साधक
संतमुनिवरो प्रत्ये एवो भक्तिभाव होय छे के
तेमने जोतां ज तेना रोमरोम भक्तिथी उल्लसी
जाय छे....अहो! आ मोक्षना साक्षात् साधक संत
भगवानने माटे हुं शुं–शुं करुं! कई–कई रीते तेमनी
सेवा करुं!! कई रीते एमने अर्पणता करी दउं!!–
आम धर्मीनुं हृदय भक्तिथी ऊछळी जाय छे. अने
ज्यां एवा साधकमुनि पोताना आंगणे आहार
माटे पधारे ने आहारदाननो प्रसंग बने त्यां तो
जाणे साक्षात् भगवान ज आंगणे
पधार्या....साक्षात् मोक्षमार्ग ज आंगणे आव्यो–
एम अपार भक्तिथी मुनिने आहारदान आपे.