भारतना तीर्थोने याद करीने भक्ति करावी हती...त्यार बाद घोघामां चा–नास्तो करीने यात्रिको भावनगर
पाछा आव्या हता. बीजे दिवसे भावनगरथी सोनगढ तरफ प्रस्थान कर्युं हतुं.
दीवडानी ज्योतिवडे गुरुदेवनुं सन्मान करता हता...रस्ताओ अनेक सुसज्जित मंडपो–कमानो अने ध्वज
तोरणथी शोभता हता...गामेगामना सेंकडो भक्तो अने सुवर्णपुरीना अनेक नगरजनो गुरुदेवना स्वागत माटे
खूब ज होंसपूर्वक आतुर हता...बेन्डवाजां मंगलनाद करीकरीने जाणे के ‘मंगलवर्द्धिनीने बोलावी रह्या हता......
हता.....थोडीवारमां ‘मंगलवर्द्धिनी’ सोनगढ आवी पहोंची अने सा...रे...ग....म.ना मंगलसूरवडे जेवी गुरुदेव
पधार्यानी वधामणी आपी के तरत ज सेंकडो भक्तजनोए अति उमळकापूर्वक जयजयकारथी गुरुदेवनुं स्वागत
कर्युं.
चडावीने भगवाननी पूजा करी...ने त्यांथी स्वाध्यायमंदिरमां आवीने बिराज्या...त्यां घणा भावपूर्वक अनेक
तीर्थधामोनुं स्मरण करीने शांतरसझरतुं मंगलप्रवचन कर्युं. बपोरे प्रवचनमां “समयसार”नी मंगल शरूआत
थई......त्यारबाद जिनमंदिरमां भक्ति प्रसंगे आ मंगलकारी तीर्थयात्रा महोत्सवनी पूर्णता प्रसंगनुं खूब ज
भाववाही स्तवन पू. बेनश्रीबेने गवडाव्युं......गुरुदेवनी साथे ने साथे आवी महान तीर्थयात्रा थई तेनी अपार
प्रसन्नता स्तवनना शब्दे शब्दमांथी झरती हती....सौ यात्रिकोना हृदय भक्ति अने हर्षथी गदगद हता.....भक्ति
पछी जिनेन्द्रभगवंतोना ने संतोना जयजयकारपूर्वक आ मंगलयात्रा समाप्त थई....भारतना अनेक
तीर्थधामोनी गुरुदेव साथेनी आ महान मंगलवर्द्धिनी यात्रा भव्य जीवोने मंगलनी वृद्धि करो.
शकेला भक्तोने पण तीर्थयात्रानो कांईक ख्याल आवे ते माटे यात्रानो संक्षिप्त अहेवाल अहीं रजू कर्यो छे. आ
तीर्थयात्राना मंगल प्रसंग दरमियान कोईपण पूज्य तीर्थ प्रत्ये के तीर्थस्वरूप संतो प्रत्ये, पू. गुरुदेव प्रत्ये के पू.
बेनश्री–बेन प्रत्ये कोई प्रकारे अविनयादि थई गया होय तो अंतःकरणनी भक्तिपूर्वक नम्रभावे हुं क्षमा मांगुं
छुं. यात्रा दरमियान परिचयमां आवेला देशोदेशना साधर्मी–भाई–बेनो प्रत्ये पण माराथी जे कांई दोष थई
गया होय ते बदल वात्सल्यपूर्वक सौ साधर्मी भाई–बेनो प्रत्ये क्षमा मांगु छुं.
समजावी रह्या छे....आ रीते सम्यक्तीर्थनी अपूर्वयात्रा करावीने मुक्तिपुरी सिद्धिधाम प्रत्ये लई जनार
परमपूज्य जीवनाधार गुरुदेवना पुनित चरणोमां परम भक्तिभावे नमस्कार करुं छुं.