Atmadharma magazine - Ank 190
(Year 16 - Vir Nirvana Samvat 2485, A.D. 1959)
(Devanagari transliteration).

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वर्ष सोळमुंः अंक १० मो संपादकः रामजी माणेकचंद दोशी श्रावणः २४८प.
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“ जयवंत वर्तो”
अहो, ते पवित्र आत्मा जयवंत वर्तो, जे
सम्यक्त्वनी प्रभुता सहित छे, जेनुं ज्ञान पावन
छे, जेनी चैतन्यमुद्रा उपर अतीन्द्रिय आनंद
व्यापी गयो छे अने जे वैराग्यरूपी गंभीर
समुद्रमां निमग्न छे.
(श्री उजमबा जैन स्वाध्यायगृहः उमराळा)
“सम्यग्दर्शन”
परम कल्याणकारी सम्यग्दर्शननो अपूर्व
महिमा समजावीने, तेनी प्राप्तिनो अमोघ
उपाय दर्शावनार श्री कहानगुरुदेवना
चरणकमळमां अत्यंत भक्तिपूर्वक नमस्कार
हो.... नमस्कार हो.........
(श्री उजमबा जैन स्वाध्यायगृहः उमराळा)
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