ATMADHARMA Reg. N. B. 4787
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असंख्यप्रदेशी चैतन्यबागमां आनंदना फूवारा वच्चे झूलता
मोक्षसाधक मुनिराजनी अद्भुत दशा
(नियमसार गा. ६३ उपरना प्रवचनमांथी)
पहेलां आत्माना आनंदनुं भान कर्युं छे के मारो आनंद मारामां ज छे, ते आनंदनुं अंशे वेदन
पण कर्युं छे, पछी अंतर्मुख थईने ते आनंदने परिपूर्ण खोलवा माटे जेओ प्रयत्न करी रह्या छे–एवा
साधक मुनिवरोनी आ वात छे.
चैतन्यस्वरूपमां प्रवर्ततां तेमनी परिणति एवी शांत थई गई छे के बहारनी कोई प्रवृत्तिनो
बोजो माथे नथी, बहारना बोजा वगरना हळवाफूल जेवा छे, ने चैतन्यना आनंदमां वारंवार मशगूल
छे. आवा मुनिवरोने समिति–गुप्तिरूप प्रवर्तन सहज होय छे. अंतरमां विकल्पनुं उत्थान ते पण ज्यां
बोजो छे त्यां बाह्यप्रवृत्तिनी तो वात ज शी! वारंवार अंतर्मुख थईने चैतन्यने अवलोकनारा
मुनिवरोनी दशा अंदर अने बहार एकदम शांत थई गई छे; तेमने रोमे रोमे, चैतन्यना प्रदेशे प्रदेशे
समाधि परिणमी गई छे, आनंदनो समुद्र अंदरथी उल्लसीने पर्यायमां आनंदनी भरती आवी छे.–
आवी आनंददशावाळा साधक मुनिवरोने वस्त्रनी के सदोष आहार वगेरेनी वृत्ति होती नथी.
अहा! मुनि ए तो जाणे अध्यात्मनी मूर्ति! अध्यात्मनो सार जे आत्मअनुभव ते मुनिवरोए
प्राप्त कर्यो छे. ‘अध्यात्मनो सार’ एटले शास्त्रना जाणपणानी वात नथी पण भावश्रुतने अंतरमां
वाळीने शुद्ध आत्मानो अनुभव करे छे ते ज अध्यात्मनो सार छे, ते ज रत्नत्रयनी आराधना छे.
आवो अध्यात्मनो सार मुनिवरोए प्राप्त कर्यो छे; तेथी अंतरमां अतीन्द्रिय आनंदना वेदनथी तेओ
शांत थई गया छे, ने बाह्यचेष्टाओ पण शांत थई गई छे. अहा! साधुओनी शांत दशानी शी वात!
अंदरनी शांतिनी तो शी वात–देहमांथी पण जाणे उपशांत रस टपकतो होय! एवा शांत छे. चैतन्यना
प्रदेशे प्रदेशे निर्विकल्प समाधि तेमने परिणमी गई छे.....कषायोना झणझणाट जेमने दूर थई गया छे
ने चैतन्यमां शांतरसना फूवारा छूट्या छे, जेम म्हैसुरना वृंदावनबागमां प्रकाशना झगमगाट वच्चे
पाणीना रंगबेरंगी फूवारा छे, त्यांनो देखाव केवो छे! गोमटगीरीमां बाहुबली भगवानना दर्शन
करीने पाछा फरतां त्यां गया हता. तेम अहीं असंख्य प्रदेशी चैतन्यबागमां ज्ञानप्रकाशना झगमगाट
वच्चे अतीन्द्रिय आनंदना फूवारा छूटया छे,–ए चैतन्यबागना आनंदनी शी वात!–अज्ञानीओने तेनी
कल्पना पण होती नथी. मुनिवरोनो आत्मा आवा चैतन्यबागमां विश्रांत थईने शांत रसमां ठरी
गयो छे.
–आवा मुनिवरो मोक्षना पथिक छे. समस्त संसारकलेशने नष्ट करीने आनंद रसमां झूलता
झूलता तेओ शीघ्र मोक्षपदने पामे छे.
–तेमने नमस्कार हो.
शुभ समाचार!
जामनगरमां दि. जिनमंदिरना शिलान्यासनुं मुहूर्त
कारतक सुद ८ ने रविवार ता. ८ ना रोज सवारे जामनगरमां श्री दिगंबर
जिनमंदिरना शिलान्यासनुं मुहुर्त छे. विशेष समाचार आगामी अंकमां प्रसिद्ध थशे.
श्री दिगंबर जैन स्वाध्याय मंदिर ट्रस्टवती मुद्रक अने
प्रकाशक: हरिलाल देवचंद शेठ: आनंद प्री. प्रेस–भावनगर