‘आत्मधर्म’
मासिक सत्तरमा वर्षनो प्रारंभ
नूतन वर्षना प्रारंभमां, जीवनना परम ध्येयरूप एवा
पंच परमेष्ठी भगवंतोने अतिशय भक्तिपूर्वक नमस्कार
करीने तेमने अभिवंदन करीए छीए.......परमकृपाळु पू.
गुरुदेवने पण अतिशय भक्तिपूर्वक नमस्कार करीने
अभिनंदीए छीए. सर्वे धर्मात्माओने भक्तिपूर्वक नमस्कार
करीने अभिनंदीए छीए.......अने सर्वे साधर्मीओने तथा
पाठकोने पण धर्मस्नेहपूर्वक अभिनंदन पाठवीए छीए.
“वा.......त्स.....ल्य.....नुं प्र.....ती.......क”
संसारमां ज्यारे चारे कोर विषय–कषायनी झेरी हवा फेलाई रही छे, अने धर्मना बहाने पण
मोटा भागे कुमार्गनुं सेवन चाली रह्युं छे, त्यारे चिदानंद स्वभावना आश्रये ज धर्म थवानो परम
सत्य पडकार करीने पू. श्री कहान गुरुदेवे अनेक जिज्ञासुओने जागृत कर्या छे ने धर्मनी सन्मुख करीने
विषय–कषायोनी झेरी गुंगळामणथी छोडाव्या छे. गुरुदेवना चैतन्यने स्पर्शीने आवती आध्यात्मिक
हवा जिज्ञासुओना जीवनने प्रसन्नताथी भरी दे छे–परिणामे चारेकोरथी अनेक जिज्ञासुओ आवी
आवीने गुरुदेवनी चैतन्य छायामां पोतानुं जीवन आत्महितनी भावनापूर्वक वीतावे छे.....गुरुदेवनो
शीतळ वडलो दिनोदिन वधतो जाय छे ने एनी विशाळ छायामां आश्रय लेनारा जीवो पण दिनोदिन
वधता जाय छे.
आवा जिज्ञासुओमां बहेनोनी संख्या पण मोटा प्रमाणमां छे. आखुं जीवन ब्रह्मचारी रहीने
सत्समागमे वीताववुं–ते वात बहेनोने माटे सामान्यपणे मुश्केल गणाय, छतां सोनगढमां ए वात
सुगम बनी छे.....पवित्र आत्मा पू. बेनश्रीबेन (चंपाबेन तथा शांताबेन) नी वात्सल्यभरी छत्र
छायामां अनेक बहेनो पोतानुं जीवन वीतावी रह्यां छे; अने भारतभरमां अजोड,
अध्यात्मवातावरणथी गूंजतो ब्रह्मचर्याश्रम अहीं शोभी रह्यो छे. एना प्रतापे अत्यार सुधीमां २७
कुमारिका बहेनोए पू. गुरुदेव पासे आजीवन ब्रह्मचर्य प्रतिज्ञा लीधी छे. नानी उमरथी ज
आत्महितनी भावनापूर्वक संतोना शरणमां आ रीते पोतानुं जीवन अर्पण करनारा जीवो प्रत्ये बीजा
जिज्ञासु साधर्मीओने वात्सल्य उभराय ए स्वाभाविक छे.
–आवुं पोतानुं वात्सल्य पत्रद्वारा व्यक्त करतां नैरोबी (आफ्रिका) थी भाईश्री झवेरचंद पी.
शाह लखे छे के–“......धन्य छे ए ब्रह्मचारी बहेनोना जीवनने के जेमणे जीवन जीवी जाण्युं.....दरेक
आत्मार्थी जीवे तेमनो धडो लईने तेवुं जीवन जीववा जेवुं छे......अमने पण साक्षात् गुरुदेवनी
वाणीनो लाभ जलदी थाय तेम भावना भावीए छीए. भादरवा सुद पांचम अगर उत्तम ब्रह्मचर्यना
दिवसे पू. भगवती बेनश्रीबहेनोना शुभहस्ते दरेक ब्रह्मचारी बहेनने, उत्तम ब्रह्मचर्य प्रगट थाय ए
भावनानी साथे रूा. १००–१०० अमारा तरफथी आपशो.” आ पत्र अनुसार भाईश्री झवेरचंद पी.
शाह तरफथी वात्सल्यना प्रतीक तरीके दरेक ब्रह्मचारी बहेनने रूा. १०१) (कुल २७ बहेनोने मळीने
रूा. २७२७) आपवामां आव्या छे. आ प्रशंसनीय कार्य माटे भाईश्री झवेरचंद पी. शाहने धन्यवाद!