गोंडल शहेरमां पू. गुरुदेवनी मंगल छायामां वेदीप्रतिष्ठानो उत्सव उजवायो, वडीआमां महा सुद ४–प–
६, जेतपुरमां महा सुद ९–१०–११ अने गोंडलमां महा सुद १२–१३–१४ एम त्रण दिवस वेदीप्रतिष्ठानो
कार्यक्रम हतो. जापप्रारंभ, मंडपमां जिनेन्द्रदेवने बिराजमान, झंडारोपण, वीस विहरमान तीर्थंकर
मंडलविधान, ईन्द्रप्रतिष्ठा, आचार्यअनुज्ञा, यागमंडलविधान, जलयात्रा, वेदीशुद्धि, कळश–ध्वज वगेरेनी
शुद्धि, गुरुदेवना सुहस्ते स्वस्तिक, जिनबिंबस्थापन, शांतियज्ञ अने रथयात्रा वगेरे कार्यक्रमो त्रणे
शहेरमां थया हता. प्रतिष्ठा संबंधी विधिविधान पू. बेनश्रीबेननी दोरवणी अनुसार विद्वान भाईश्री
हिंमतलालभाईए तथा ब्रह्मचारीभाईओए करावेल हता. वडीयामां उत्तमचंदभाई वगेरे भाईओए
उल्लासपूर्वक प्रतिष्ठा महोत्सव ऊजव्यो हतो अने प्रतिष्ठानी खुशालीमां नवकारशी–जमण कर्युं हतुं.
जिनमंदिरमां मूळनायक भगवान नेमिनाथ छे. जेतपुरमां कागदी जटुभाईए, देसाई भाईओए, तेमज
भूरा भाई शेठना पुत्रो विगेरेए प्रतिष्ठा महोत्सवमां उत्साहपूर्वक भाग लीधो हतो, अहीं पण
नवकारशीजमण थयुं हतुं. छेल्ली रथयात्रा वखते हाथी पण आवेला होवाथी रथयात्रा घणी प्रभावक
बनी हती. अहींना जिनमंदिरनो देखाव भव्य छे. मूळनायक भगवान श्रेयांसनाथ छे. गोंडल शहेरमां
शेठश्री वछराजभाई वगेरेए उत्साहपूर्वक प्रतिष्ठा उत्सव उजव्यो हतो. अहीं पण हाथी आवेल हतो.
अहींनुं शिखरबंध जिनमंदिर सुंदर अने भव्य छे. जिनमंदिरमां मूळनायक शांतिनाथ भगवान, उपरांत
सीमंधर भगवान अने अनंतनाथ भगवान बिराजे छे. भगवाननी प्रतिष्ठानो महोत्सव आनंदथी
ऊजववा माटे वडीया, जेतपुर अने गोंडल त्रणे शहेरना मुमुक्षुओने धन्यवाद घटे छे. वडीआ, जेतपुर
अने गोंडल त्रणे शहेरथी गिरनार सिद्धिधामनां नीकटथी दर्शन थाय छे, ए सिद्धिधाम नीहाळतां, ने
तेने वंदन–पूजन करतां भक्तोने हर्ष थतो हतो. पू. गुरुदेव पण विहार वखते रस्तामां गिरनार
सिद्धक्षेत्रनां दर्शन करता हता. विहार वखते गिरनारजी तीर्थना एवा स्पष्ट दर्शन थता के जाणे तेनी
आसपास प्रदक्षिणा करता होईए, एम लागतुं हतुं.
स्वागत बाद स्व. नौतमभाईनी यादीमां “आत्मप्रसिद्धि” नामना पुस्तकनुं प्रकाशन थयुं. पू. गुरुदेव
राजकोटमां लगभग एक महिनो (फागण वद बीज सुधी) रहेवाना छे. राजकोट शहेरना दिगंबर
जिनमंदिरनी प्रतिष्ठाने आ फागण सुद १२ना रोज दस वर्ष पूरां थाय छे, ते निमित्ते महोत्सव फा. सु.
२थी फा. सु. १२ सुधी चाली रह्यो छे. राजकोट शहेरनुं जिनमंदिर घणुं भव्य छे, मूळनायक श्री सीमंधर
भगवान बिराजे छे. राजकोट पछी पू. गुरुदेव फागण वद त्रीज ने बुधवारे सोनगढ पधारशे.