
शास्त्रोना ज्ञानमां आप ऊंडा उतरेला छो. दिगम्बर धर्म ज एकलो आत्मानी मुक्तिनो
मार्ग छे–एवुं सत्यज्ञान आपने प्राप्त थयुं छे. आप आपना आत्मामांथी प्रगट थतां
प्रकाशने अम सौ जैनो प्रत्ये फेलावो छो. आ रीते आप, मानवोनी हृदयभूमिमां
धर्मनां बीज रोपी रह्या छो, निःसंदेहपणे आप स्वयं परमात्माना प्रतिनिधि छो.
पवित्र स्वरूप एवा आपे अने आपना शिष्योए धर्मना प्रचारार्थे निज जीवन
वीतवी रह्या छो. जेवी रीते प्रातःकाळनो सूर्य पृथ्वीतळना अंधकारने दूर करी दे छे तेवी
रीते आप अमारा समाजना अज्ञानरूपी अंधकारनो नाश करी रह्या छो.
जैन धर्मना प्रचारना हेतुए आपे करेलां पुष्कळ उदारताभर्या कार्यो अमने
अमारा मध्यमां आपनुं भावभीनुं स्वागत करतां अमने अत्यानंद थाय छे. हे
अने आप आपना–धर्मपिता तरीकेना अने कृपापूर्ण–आशीर्वाद आपो एवी विनंति
करीए छीए.