पहेलां शरू थयुं... आजे ते १८ मा वर्षमां प्रवेश करे छे. आ
आत्मधर्म–मासिकद्वारा मने परमकृपाळु गुरुदेवनी चरणसेवानो
सुअवसर प्राप्त थयो तेने हुं मारा जीवननुं मोटुं सद्भाग्य
मानुं छुं.
जगतमां सर्वोत्तम एवा धर्मने धर्मात्माओनी प्राप्ति थई... आ
रीते सर्वोत्तम ईच्छित वस्तुओना दातार गुरुदेवे आ बाळकना
जीवनमां जे अपार उपकारो कर्या छे.. जे कृपाद्रष्टि वरसावी छे
तेनुं स्मरण करीने, भावभीना हृदये परमभक्तिथी गुरुदेवना
चरणोमां नमस्कार करुं छुं.
प्रारंभ करतां, संतजनोना चरणे शीर नमावीने आशीर्वाद
मांगीए छीए के आत्महितनी आपणी उर्मिओ–भावनाओ
सफळ थाय... ने... आपणे आत्मसुख पामीए.