Atmadharma magazine - Ank 206
(Year 18 - Vir Nirvana Samvat 2487, A.D. 1961)
(Devanagari transliteration).

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: १८ : आत्मधर्म : २०६
बा.ल.वि.भा.ग
बाप तेवा बेटा
वज्रदन्त चक्रवर्तीने एकवार संसारथी
वैराग्य थयो, अने राजपाट छोडीने मुनि थवा माटे
तैयारी करी.
पुत्रने राजतिलक माटे बोलाव्यो अने कह्युं:
बेटा! तुं आ राज्य संभाळ! हुं हवे राज्य छोडीने
मुनि थवा ईच्छुंं छुं.
ते सांभळीने राजकुमारे नम्रतापूर्वक कह्युं:
पिताजी! आप आ राज्यने शा माटे छोडी रह्या छो?
वज्रदन्त कहे: बेटा! आ विनाशीक राज्यने
छोडीने हुं हवे अविनाशी मोक्षराज्यने साधवा मांगु
छुं. आ राज्य तो अनंतवार भोगवी चूकेल एठ
समान छे, तेने भोगववामां शो आनंद?
राजकुमारे कह्युं: पिताजी! जेने आप एठ
समजीने छोडी रह्या छो तेने हुं शा माटे खाउं? जेने
आप नाशवान समजीने छोडी रह्या छो तेने हुं शा
माटे भोगवुं? आपनी जेम हुं पण आ असार
संसारने छोडीने मोक्षपदने साधीश.
ने पितानी साथे ज ए पुत्र पण राजपाट
छोडीने मुनि थयो. धन्य छे ते पिता–पुत्रने!
“बाप तेवा बेटा”–ए आनुं नाम!
तमने शुं गमे?
मने गमे आतमराम
करुं शाने बीजुं काम?
तन–धनमां नहीं सुखनुं नाम,
सुख–शांतिनुं हुं छुं धाम.
जग जाणे नहि एनुं नाम,
गुरु बतावे सुखनुं धाम;
जेने समजाये आ भेद,
तेनो थाये संसार छेद.
वसंतकुमार : भावनगर
त्रण प्रश्नोना जवाब
(जवाब–१)
समयसारनी गाथा र३८ फरीने अक्षरेअक्षर
गाथा र४३ मां आवे छे; अने गाथा र४० फरीने
गाथा र४प मां आवे छे. आ रीते आ बे गाथा
समयसारमां बीजी वखत आवे छे.
(जवाब–र)
आ भगवान एवा, के भारे जोवा जेवा
बाहुबली’ नाम छे, जात्रानुं ए धाम छे.
–एनो पहेलो अक्षर ‘बा’–ए कोने न गमे?
बा तो बधा बाळकोने बहु ज गमे. एना
छेल्ला त्रण अक्षरमां ‘हुबली’ नगरी समाई गई छे.
(जवाब–३) अरिहंत भगवान
–तेमने वैभव छे अपार,
पण खाता नथी लगार
छतां तेओ लोभी नथी.
आत्मधर्ममां बालविभाग शरू थतां घणा
बाळको बहु खुशी थया छे; आ वखतना प्रश्नो अघरा
होवा छतां ९१ बाळकोए जवाबो लखी मोकल्या छे.
जवाबो लखनार बाळकोने तेमना उत्साह बदल
धन्यवाद! जवाब लखनार बाळकोना नाम अहीं
आप्यां छे जेना बधा जवाब साचा हता तेना नाम
साथे फूदडी * मूकेल छे.