
अकाळमरणनां ए साधनोनो निर्देश (उल्लेख–वर्णन) पण करेल छे. तेथी बधी पर्यायो क्रमनियमित ज छे
एम कही शकातुं नथी. पोताना आ पक्षना समर्थनमां तेओ उदीरणा, संक्रमण, उत्कर्षण अने अपकर्षणने
पण रजू करे छे. उदीरणानो अर्थ ज कर्मोनुं नियत समय पहेलां फळ देवुं एवो छे. जगतमां केरीनो पाक बे
प्रकारे थाय छे कोई केरी वृक्ष पर वळगी रहीने ज नियत समये पाके छे अने कोई केरीने पाक्या पहेलां ज
तोडीने पकाववामां आवे छे. कर्मोनां उदय अने उदीरणामां पण ए ज तफावत छे. उदय तेनी स्थिति
अनुसार नियत समये थाय छे अने उदीरणा समय पहेलां थई जाय छे. उत्कर्षण अने अपकर्षणनी पण
एज दशा छे. एटलुं जरूर छे के उत्कर्षणमां नियत समयमां वृद्धि थई जाय छे अने अपकर्षणमां नियत
समयने घटाडी देवामां आवे छे. संक्रमणमां नियत समयने घटाडवा–वधारवानी वात तो नथी होती पण
तेमां संक्रमित थवावाळां कर्मोनो स्वभाव ज बदली जाय छे माटे द्रव्योनी बधी पर्यायो क्रमनियत छे एम कही
शकातुं नथी. (हजी आ पूर्वपक्ष द्वारा दलील चाले छे.)
मळवानुं छे ते समये मळशे ज अने जेने ज्यारे मोक्ष जवानुं छे त्यारे ते जशे ज तो पछी सदाचार, व्रत,
नियम, संयम अने पूजापाठनो उपदेश शा माटे देवामां आवे छे अने शा माटे ए बधानुं आचरण करवुं श्रेष्ठ
मानवामां आवे छे? तेमना कहेवानुं तात्पर्य ए छे के ज्यारे सर्व शुभाशुभ कार्य नियत समये ज थाय छे
त्यारे पोतानो समय आवतां थशे ज, तेने माटे जुदो प्रयत्न करवो के उपदेश देवो निष्फळ छे. पण सर्वथा
एम नथी, केमके जगतमां प्रयत्न अने उपदेश आदिनी सफळता जोवामां आवे छे, तेथी ए सिद्ध थाय छे के
ज्यारे जेवी साधन सामग्री मळे छे त्यारे तेना अनुसारे ज कार्य थाय छे. क््यारे शुं साधक सामग्री मळशे
अने ते अनुसारे क््यारे शुं कार्य थशे तेनो नथी तो कोई क्रम ज निश्चित करी शकातो तेम समय पण,
शास्त्रमां नियतिवादने जे मिथ्या कहेवामां आव्यो छे तेनुं आज कारण छे.
सहित आगम प्रमाणना आधारे प्रकृतमां (आ चालु अधिकारमां–प्रकरणमां) विचार करवामां आवे छे.
के जे कार्य पुरुष प्रयत्नसापेक्ष थाय छे तेमां ते मेळववामां आवे छे एम उपचारथी कहेवामां आवे छे पण
एवुं कांई एकान्ते नथी के प्रयत्न करवाथी निमित्त मळे ज.
छे, तो पण पोताना पूर्व संस्कारने लीधे केटलाक बाळको भणवामां तेज (होंशियार) नीकळे छे, केटलाक
मध्यम होय छे, केटलाक ठोठ होय छे अने केटलाक नियमित रूपे स्कूलमां जाय छे तो पण भणी शकता नथी.
तेनुं कारण शुं छे? जे बाह्य साधन सामग्रीने लोकमां कार्यनी उत्पादक कहेवामां आवे छे ते बधाने सुलभ छे
अने तेओ भणवामां परिश्रम पण करे छे तो पछी तेओ एकसमान केम भणता नथी? (क्रमश:)