Atmadharma magazine - Ank 211
(Year 18 - Vir Nirvana Samvat 2487, A.D. 1961)
(Devanagari transliteration).

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: : आत्मधर्म : २११
धर्मात्मानां अफर फरमान
वैशाख सुद बीज एटले परम प्रतापी आत्मज्ञ संत श्री
कानजीस्वामीनो मंगलमय जन्मदिन. परमार्थथी तो तेओ निज निर्मळ पर्याय
प्रगट करवा माटे जन्म्या अने अनेक भव्य जीवोने निर्मळताना उत्पादमां
निमित्तरूप थया एटले तेमने माटे महा आनंदनुं कारण बन्या.
पूज्य गुरुदेवश्री ७१ वर्ष पूरां करी, ७२मा वर्षमां प्रवेश करे छे. जेम
७२ नो अंक अफर छे तेम तेओश्रीनुं अफर फरमान छे के :–
(१) ज्ञायक स्वभावनी द्रष्टिथी राग अने परना कर्तापणानो
अभाव अफर छे.
(र) अनेकांतविद्यानी उपासनाथी आत्मसिद्धि अफर छे.
(३) भेदविज्ञानद्वारा आस्रवनिरोध अफर छे.
(४) क्षायिक समकितीनुं सम्यग्दर्शन अफर छे.
(प) निश्चय रत्नत्रयनुं निरपेक्षपणुं अफर छे.
(६) क्षपकश्रेणिवंत आत्मानी स्वरूपरमणता अफर छे.
(७) वीतरागी देवनी वीतरागता अफर छे.
(८) अनंतवीर्यशक्तिनुं स्वरूपरचनारूप सामर्थ्य अफर छे.