रोगोत्पत्ति प्रसंगनी उग्र वैराग्यदशाने, कोई दुःख
कोई सत् उपदेशना धन्य अवसरे जागेली पवित्र
अंर्त–भावनाने स्मरणमां राखजे. निरन्तर
Atmadharma magazine - Ank 213
(Year 18 - Vir Nirvana Samvat 2487, A.D. 1961)
(Devanagari transliteration).
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