Atmadharma magazine - Ank 222
(Year 19 - Vir Nirvana Samvat 2488, A.D. 1962)
(Devanagari transliteration).

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चैत्र : २४८८ : १३ :
संभाळ करी छे ते महान वस्तुनो उल्लेख नानी कलम द्वारा थई शके तेम नथी. तेओश्रीना श्रीमुखेथी
मानस्तंभ महोत्सव वगेरेना उल्लासमय संस्मरणो सांभळवा ते पण एक महान सौभाग्य छे.
* * वैशाख सुद दसमे मानस्तंभनी मासिकतिथि तेमज महावीरप्रभुना केवळज्ञानकल्याणकनो
दिवस होवाथी सहज उल्लासमां आवी जता पू. बेनश्री–बेने आश्रममां अद्भुत भक्ति करावेली– जे
त्रण कलाक चाली हती.....सोनगढमां बारवर्षमां कदी न थई होय एवी ए भक्ति हती–एम घणा
कहेता हता.
* * ए वैशाख मासमां गुरुदेवे त्रण वखत मानस्तंभनी यात्रा करी हती.....गुरुदेव साथे
मानस्तंभनी यात्रा तथा भक्तिना प्रसंगथी भक्तजनोने बहु आनंद थतो.

मानस्तंभनी यात्राना अने भक्तिना ए मंगल दिवसो नव वर्ष बाद फरीने आवी रह्या छे.
जय मानस्तंभ
जय विदेहीनाथ
* * * * * * *
‘आत्मधर्म’ (मासिक) नी मालिकी अने तेने अंगेनी अन्य माहिती
फोर्म नं. ४ (जुओ रूल नं. ८)
(१) प्रकाशन स्थळ– श्री दि. जैन स्वाध्याय मंदिर ट्रस्ट–सोनगढ
(२) प्रकाशननी सामायिकता– मासिक
(३) मुद्रकनुं नाम–
हरिलाल देवचंद शेठ
राष्ट्रियता– हिन्दी
सरनामुं– आनंद प्रिन्टींग प्रेस, सुतारवाड, भावनगर
(४) प्रकाशकनुं नाम– हरिलाल देवचंद शेठ
राष्ट्रियता– हिन्दी
सरनामुं– आनंद प्रिन्टींग प्रेस, सुतारवाड, भावनगर
(प) तंत्रीनुं नाम– जगजीवन बाउचंद दोशी
राष्ट्रियता– हिन्दी
सरनामुं– स्वाध्याय मंदिर–सोनगढ
हुं जगजीवन बाउचंद दोशी आथी जाहेर करूं छुं के उपर दर्शावेली विगतो मारी जाण अने मान्यता
मुजब तद्रन साची छे.
जगजीवन बाउचंद दोशी
दि. जैन स्वाध्याय मंदिर ट्रस्ट–सोनगढ