Atmadharma magazine - Ank 222
(Year 19 - Vir Nirvana Samvat 2488, A.D. 1962)
(Devanagari transliteration).

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: २२ : आत्मधर्म : २२२
सुवर्णपुरी
समाचार
माननीय मुरब्बी श्री रामजीभाई माणेकचंद दोशी श्री जैन स्वा. मंदिर ट्रस्ट तथा जैन अतिथि सेवा
समितिना प्रमुख तरीके घणां वर्षथी अथाकपणे सेवा आपी रह्यां छे.
तेओश्री परमकृपाळु गुरुदेवश्रीनी जमणी आंखना सफळ ओपरेशन थई गयां बाद पोतानी
तबियतने कारणे मुंबई गयां हतां त्यां तेओश्रीना बे सफळ ओपरेशन थयां त्यारे तेओश्रीना ओपरेशननी
सफळता तथा घणुं लांबु अने तंदुरस्त आयुष्य भोगवे एवी मतलबना अनेक धर्मप्रेमी बंधुओ तरफथी
संख्याबंध शुभेच्छाना तार संदेशा मळ्‌यां हतां.
पूज्य गुरुदेवश्रीनी आंखना मोतीयाना ओपरेशन बाद महा वदी १४ना प्रथम मंगळ प्रवचनना
दिवसे श्री रामजीभाई पोतानी तबीयत सामान्य होवा छतां कलकत्ताथी पधारता होवाथी मंडळना सघळा
भाई बहेनो तरफथी घणां ज उमळकापूर्वक तेओश्रीनुं स्वागत करवामां आव्युं हतुं.
तेओश्रीनी उंमर अत्यारे लगभग एंसी वर्षनी होवा छतां पण सत्धर्म प्रभावना माटेनी तेमनी
कार्यशक्ति घणी अजब अने अजोड छे. सं. २००२थी पोतानो वकीलातनो धंधो बंध करीने निवृत्ति लईने
तेमनो बधो वखत पूज्य गुरुदेवश्रीनी शीतळ छायामां रहीने शासन प्रभावनाना महान कार्यमां भगीरथ
प्रयत्नपूर्वक निर्गमन करी रह्यां छे. तेमणे आत्मधर्म मासिकना संपादक तरीके अढार वर्ष अविरतपणे सेवा
आपी कार्य कर्युं छे. सत्धर्म प्रचार करवा माटे तेओश्रीए जे परिश्रम लीधो छे तेना परिणामे आजे
“आत्मधर्म” नो घणो ज विस्तृतपणे देशभरमां प्रचार थयो छे ने एना द्वारा हजारो मनुष्यो तत्त्वज्ञाननो
लाभ लई रह्यां छे. जेथी जैन पत्रोमां आत्मधर्मनुं स्थान अत्यारे सौथी अग्रस्थाने छे. आ उपरांत
तेओश्रीए मोक्षशास्त्र उपर गुजराती टीका तथा बीजा अनेक महत्त्वना ग्रंथो लखीने शासननी उन्नतिना
कार्यमां महत्त्वनो फाळो आपेल छे.
तेमनामां तत्त्वना सूक्ष्म न्यायो झीलवानी शक्ति, तीव्र स्मरणशक्ति, विशाळबुद्धि अने
अतिसरळपणे जैनदर्शननुं रहस्य प्रगट करवानी लेखनशक्ति तथा संकलनशक्ति तेमज अहींनी बधी संस्था
प्रत्येनी तीव्र लागणी अने व्यवस्थाशक्ति ए वगेरेनी प्रशंसा पूज्य गुरुदेवना श्रीमुखेथी पण अनेकवार
मुमुक्षुओए सांभळी छे.
शासन उन्नतिना अनेकविध कार्यो करवा माटे मुरब्बी श्री रामजीभाई घणुं लांबु आयुष्य भोगवो
एम ईच्छीए छीए.
जगजीवन बावचंद दोशी
राजकोट तरफ विहार
राजकोटमां जिनमंदिरनी बाजुमां नवा बंधायेल स्वाध्याय होलना उद्घाटन प्रसंग निमित्ते पू.
गुरुदेव राजकोट पधारवाना छे. हालना कार्यक्रम मुजब चैत्र वद दसम (ता. २९–४–६२) थी वैशाख सुद
पांचम (ता. ७–प–६२) सुधी राजकोटनो प्रोग्राम विचारवामां आव्यो छे;–ने वैशाख सुद छठ्ठ सोनगढ पुन:
पधारशे. वैशाख सुद बीजनो गुरुदेवनो ७३मो जन्मोत्सव राजकोटमां उजवाशे.