Atmadharma magazine - Ank 222
(Year 19 - Vir Nirvana Samvat 2488, A.D. 1962)
(Devanagari transliteration).

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चैत्र : २४८८ : २३
:
धन्य भाग्य अमारे आंगणे पधार्या मानस्तंभ भगवान....
वधावुं आज...हीरले थाळ भरि भगवान....
सुवर्णपुरीमां आज पधारी न्याल कर्या भगवान....
तुम चरणे प्रभु निशदिन रही करीए आत्मकल्याण
वधावुं आज हीरले थाळ भरी भगवान