सुवर्णपुरीमां आज पधारी न्याल कर्या भगवान....
तुम चरणे प्रभु निशदिन रही करीए आत्मकल्याण
वधावुं आज हीरले थाळ भरी भगवान
Atmadharma magazine - Ank 222
(Year 19 - Vir Nirvana Samvat 2488, A.D. 1962)
(Devanagari transliteration).
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