Atmadharma magazine - Ank 222
(Year 19 - Vir Nirvana Samvat 2488, A.D. 1962)
(Devanagari transliteration).

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चैत्र : २४८८ : ७ :
मा....न....स्तं....भ
म.....हो.....त्स.....व.....नां
म...धु...र
सं..
भा..
र..
णां
सं. २००९ना चैत्र सुद दसमे सोनगढमां आरसना आ भव्य
मानस्तंभनी प्रतिष्ठा थई....प्रतिष्ठानो ए महोत्सव अद्भुत हतो,
मानस्तंभ पण अद्भुत छे...आ चैत्र सुद सातमे एनी प्रतिष्ठाने दसमुं
वर्ष बेसे छे ने तेनो महा–अभिषेक थई रह्यो छे त्यारे एना थोडाक मधुर
संभारणां अहीं ताजा कर्या छे.
(ब्र. हरिलाल जैन)
* * आ मानस्तंभ ६३ फूट ऊंचो छे; तेमां उपरना तेमज नीचेना भागमां चार दिशामां
सीमंधरनाथ भगवान बिराजमान छे. जाणे महाविदेहनो ज एक मानस्तंभ अहीं आव्यो होय–एवी
उर्मिओ मानस्तंभना दर्शनथी जागे छे. मानस्तंभमां. ऊंचे ऊंचे बिराजमान गगनविहारी विदेहीनाथने
नीहाळतां भक्तोनुं हृदय अति प्रसन्न थाय छे. अमुक ऋतुमां मानस्तंभनी छाया ठेठ भक्तोना आंगणा
सुधी पहोंचे छे, मानस्तंभनी मधुर छायामां शांत शांत उर्मिओथी हृदय विश्राम पामे छे.
* * सौराष्ट्रभरमां अत्यारे आ एक ज मानस्तंभ छे. सोनगढमां मानस्तंभ करवानी भावना तो
खास भक्तोना हृदयमां घणा वर्षोथी घोळाती हती....ने ए भावना पूरी थवानो धन्य अवसर आव्यो.