Atmadharma magazine - Ank 222
(Year 19 - Vir Nirvana Samvat 2488, A.D. 1962)
(Devanagari transliteration).

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: ८ : आत्मधर्म : २२२
* * सं. २००८ना फागण सुद पांचमे श्री वृजलालभाई जे. शाह (एन्जीनीयर) वगेरेनी साथे पू.
बेनश्रीबेन जयपुर पधार्या ने त्यां फागण सुद १४ना रोज रूा. पप०००) मां मानस्तंभनी कारीगरीनो
ओर्डर आप्यो.
* * चैत्र सुद १३ना मंगलदिने पू. बेनश्रीबेने मानस्तंभनो पायो खोदवानी शरूआत करी. २० फूट
लांबो, २० फूट पहोळो ने १० फूट ऊंडो नक्कर पायो अंदर सळिया गोठवीने तैयार थयो.
* * उपरनी त्रणे पीठिकानुं चणतरकाम सेंकडो भक्तोए हाथोहाथ बगडिया भरी भरीने उमंगपूर्वक कर्युं.
* * जयपुरथी वेगन भरी भरीने मानस्तंभनो सामान आववानी शरूआत थई....वेगनना
समाचार आवतां आनंद थतो; ने नानो मोटो सामान सौ नीरखी नीरखीने जोता.
* * सं. २००९ना कारतक सुद बीजे एक साथे बे वेगन आववानी वधाई मळतां घणो हर्ष थयो.
* * कारतक सुद त्रीजे घणा उल्लासपूर्वक प्रतिमाजीनो ग्रामप्रवेश थयो.....तेमज ते ज दिवसे पू.
बेनश्रीबेनना सुहस्ते मानस्तंभनो पहेलवहेलो आरस स्थापित थयो.
* * मानस्तंभनी चार देरी उपर, साथीयावाळो एक मोटो अखंड २प० मणनो पथर छे,
केरियरमांथी ते नीचे ऊतारती वखतनो प्रसंग आजे पण भूलातो नथी.
* * मागसर सुद एकमे भगवाननी देरीनुं स्थापन थयुं; बराबर ते ज दिवसे गुरुदेवने स्वप्नमां
विदेहक्षेत्रना भव्य भगवानना अति आनंदकारी दर्शन थया.
* * एक बाजु मानस्तंभनुं चणतर चाली रह्युं हतुं ने बीजी बाजु महोत्सव माटेनी अनेकविध
तैयारीओ चाली रही हती. मानस्तंभ कई रीते तैयार थाय छे ते नीरखी नीरखीने भक्तो आनंद पामता.
कोई कहेता: “मानस्तंभ तैयार थया पछी तेनी यात्रा करवी ते तो धनभाग्य छे ज, पण अत्यारे
मानस्तंभने तैयार थतो नजर समक्ष नीहाळवो ते पण अहोभाग्य छे.
* * एक तरफ प्रतिष्ठाना दिवसो नजीक आवी रह्या हता त्यां मानस्तंभना सामाननुं पांचमुं वेगन
गूम थयुं.....चारे कोर शोध चाली....तेनी शोध माटे कलाके कलाके तार उपर तार छूटता....ते प्रसंग पण
भूलाय तेवो नथी.
* * बहारगामना जे लोको आवे तेमने पू. गुरुदेव मानस्तंभ बतावता, अने तेना चित्रोनी
समजण आपता; कोई गामडिया जेवा माणसो आवे तो गुरुदेव तेने कहे के आ ‘धर्मनुं टावर’ छे. धर्मनो
स्तंभ, खुल्लुं जिनमंदिर, धर्मनो वैभव–वगेरे नामोथी पण ओळखावता.
* * मानस्तंभनी एवी लगनी लागी हती के भक्तो मानस्तंभनी आसपास फर्या करता.....नाना
मोटा दरेक कार्यनुं अवलोकन करता...क्रेईन द्वारा एक एक मोटा पथर उपर चडे त्यारे अचूकपणे हाजर रहेता.
* * मानस्तंभनुं काम पूरुं थवा आव्युं ने प्रतिष्ठा महोत्सवना मूरत ढूकडा आव्या....चैत्र सुद दसमनुं
मंगलमुहूर्त नक्की थयुं.
* * बराबर ए ज अरसामां बाहुबली भगवाननो महा मस्तकाभिषेक (बार वर्षे) थई रह्यो
हतो, तेथी हजारोनी संख्यामां यात्रिको ते तरफ जतां के आवता वच्चे सोनगढ ऊतरता...ए रीते बे मासमां
विविध प्रांतना लगभग १२०० यात्रिको सोनगढ आव्या हशे.
* * प्रतिष्ठा महोत्सव आव्यो....ने गामेगामथी सेंकडो भक्तोना टोळा सोनगढ उतर्या.....लगभग छ
हजार जेटला भक्तोए उत्सवमां भाग लीधो.