Atmadharma magazine - Ank 223
(Year 19 - Vir Nirvana Samvat 2488, A.D. 1962)
(Devanagari transliteration).

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चैत्र सुदि दसमना मंगल दिने
मानस्तंभ महाभिषेकनां मधुर संभारणा
महाभिषेक पूर्वे मंच उपर
मानस्तंभ भगवान समीप पू. गुरुदेव
बेठा छे ते वखतनुं द्रश्य अने
भगवानना भक्तना उद्गारो:–
चेतन बिंब जिनेश्वर स्वामी,
ध्यानमयी अविकारी;
दर्पण सम चेतन पर्यय,
गुणद्रव्य दिखावन हारा;
–नाथ चिद्रूप दिखावे रे,
–परमध्रुव ध्येय शिखावे रे.
मानस्तंभ भगवानने पू.
ब्हेनो वंदन करे छे ते वखतनुं द्रश्य
अने भक्तोनी अंतर उर्मि:–
विश्व दिवाकर नाथ सीमंधर, कुंदनयनना तारा;
जगनिरपेक्षपणे जगज्ञायक, वंदन कोटि अमारा,
तात जग तारणहारा रे,
जगत आ तुजथी उजियारा.