Atmadharma magazine - Ank 223
(Year 19 - Vir Nirvana Samvat 2488, A.D. 1962)
(Devanagari transliteration).

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वैशाख : २४८८ : ३७ :
सु...व...र्ण...पु...री स...मा...चा...र
परम उपकारी पू. गुरुदेवनी छत्रछायामां जिनेन्द्र धर्मस्तंभ (मानस्तंभ) नो
दशवर्षीय महाभिषेक महोत्सव
मानस्तंभ भगवाननी स्तुति
नीचे उपर नाथ चतुर्दिश
पद्मासन अतिप्यारा,
पाद पडे त्यां तीरथ उत्तम
द्रष्टि पड्ये भव पारा;
–नाथ मुज आया आया रे,
–सुवर्ण अमृत ऊभराया.
[नूतन जिनमंदिर सामे महाभिषेक
माटे मानस्तंभ फरतो मंच बांधेल छे
तेनुं द्रश्य
]
परमकृपाळु पूज्य गुरुदेवनी छत्रछायामां चैत्र सुदि १० ने शनिवारना
मांगलिक दिने मानस्तंभमां प्रतिष्ठित महाविदेहक्षेत्रमां वर्तमान विहरमान,
तीर्थनायक परमपूज्य देवाधिदेव १००८ श्री सीमंधर भगवाननी प्रतिष्ठानी
दसमी वर्ष गांठनो महोत्सव अति उल्लासपूर्वक ऊजवायो हतो,
श्रवणबेलगोलामां श्री बाहुबलि भगवाननो महाभिषेक दर बार वर्षे थाय
छे. ते प्रमाणे अहींना मानस्तंभ उपर बिराजमान श्री सीमंधर भगवाननो
महाभिषेक थयो हतो. गगनचुंबी ६३ फूट ऊंचा मानस्तंभ ऊपर जवा माटे
मोटो मंच बांधवामां आव्यो हतो. आ प्रसंग घणा वर्षे प्राप्त थयो होवाथी श्री
जैन स्वाध्याय मंदिर ट्रस्टना प्रमुख श्री रामजीभाई माणेकचंद दोशी अने
ट्रस्टीओए, महोत्सव ऊजवणीमां सर्वे मुमुक्षु भाईओ भाग लई शके ते माटे
ता. १२–४–६२ थी १७–४–६२ सुधीनो छ दिवसनो महोत्सव समय निर्माण
करीने आमंत्रण पत्रिकाओ मोकलवामां आवी आवी हती.