संख्यामां मुमुक्षुओ आव्या हता. मुंबईथी शेठ श्री नवनीतभाई झवेरी,
दिल्हीथी खास जिज्ञासुओ, उदेपुरथी श्री चंद्रसेनजी बंडी, आग्राथी श्री
नेमीचंदजी पाटणी तथा बीजा अनेक भाईबहेनो आव्या हता. अजमेरथी डो.
सौभाग्यचंदजी तेमनी भक्त मंडळी साथे आव्या हता.
महाभिषेकनी तैयारीनी शरूआत थई.
आकाश गुंजी रह्युं हतुं, भक्तजनोना उल्लासनो पार न हतो. पू.
बेनश्रीबहेननी भक्ति अने उल्लास तो अद्भुत हता, आ वखते अजमेरनी
भजनमंडळीए जिनभक्तिनो सुंदर कार्यक्रम रजु कर्यो हतो. श्री मुळचंदजीए
तेमनी नृत्यकळाथी अने भजनमंडळीना अन्य भाईओए पोतानी लाक्षणिक
शैलीथी भक्तिनी धून जमावी हती. सामे श्री मानस्तंभजी उपर क्रमसर
सुवर्ण–चांदीना कळशो लई हजारो भाईओए उपर बिराजमान श्री सीमंधर
भगवाननो शुद्धजळथी अभिषेक कर्यो हतो.
स्वरूप शुं छे अने अज्ञानवश जीव तेनो विपरीत अर्थ केवी रीते करे छे तेनुं
तथा श्री समयसारजी शास्त्र उपर प्रवचनोमां सम्यग्द्रष्टिनुं सातभय
रहितपणुं, निःशंकितादि गुणनुं धारकपणुं अनेक द्रष्टांतो पूर्वक सुंदर रीते
समजावता हता.
गया हता. साथे अजमेर भजनमंडळीनो सुंदर कार्यक्रम हतो. एथी वरघोडानुं
द्रश्य विशेष दीपतुं हतुं. वनमां जिनेन्द्र भगवाननो अभिषेक, पूजन पछी
रथयात्रानो वरघोडो जिनमंदिरमां पहोंचता भक्तो भगवाननी भक्तिमां
मस्त थतां मानस्तंभ भगवान पासे तापनी परवाह कर्या विना खूब भक्ति
करी हती.
तथा जिनमंदिरमां भगवान