मुमुक्षुमंडळना प्रतिनिधि आव्या हता अने नवीन उत्साहना वातावरणमां
महामंडळनुं अधिवेशन थयुं. त्रण वर्ष माटे कार्यकारिणी कमिटीनी चुंटणी थई
हती. तेना प्रमुख श्री रामजीभाई माणेकचंद दोशी, उपप्रमुख श्री नवनीतलाल
चुनीलाल झवेरीने नीमवामां आव्या हता. श्री नेमीचंदजी पाटनीए उत्साह
सहित भाग लईने ते कार्यवाहीने सफळ बनावी हती. श्री नेमीचंदजी पाटनी
(किशनगढ) आ उत्सवमां खास भाग लेवा आव्या हता. संस्थाना
विकासनी योजनाओमां तेमनी उपयोगी सलाह मळती रहे छे.
प्रवचनमां आवे छे. सोनगढमां पण पू. गुरुदेवना प्रवचनो सांभळवा
वारंवार आवे छे अने
खातमुहूर्त (शिलान्यास) ना उत्सवो तेमना शुभहस्ते थया हता. पू. श्री
गुरुदेव कानजीस्वामी द्वारा सत्साहित्यनो तथा सत्यस्वरूपनो वेगवान वधुने
वधु प्रचार देशभरमां हरेक स्थळे सारी रीते थाय एवी एमनी खुब भावना
छे अने ते माटे तन–मन–धन लगावे छे.
वैरागी, विशेष धर्मसंस्कारवान, आत्मार्थी छे. आत्महितमां ज प्रवृत्ति अने
प्रचारद्वारा जेमनुं नाम बहु प्रसिद्धिने पामेल छे. ३प वर्ष पहेलां साठ लाख
रूपीया तेमना मामाजी वारसामां देता हता पण वैराग्यवश न ज लीधा.
तेओश्रीनी भावना छे के पू. गुरुदेवद्वारा जे सत्यधर्मनो प्रकाश थई रह्यो छे ते
सर्वज्ञप्रणित तत्त्वज्ञाननो प्रकाश अने प्रवाह खूब वृद्धिने पामीने देशभरमां
प्रचार पामे.
आनंदमय अवसर उपर ज्ञान प्रचार अर्थे श्री दीपचंदजी शेठियाजी तथा
तेमना नारायण परिवार तथा तेमनो अनेक मित्रोद्वारा