Atmadharma magazine - Ank 223
(Year 19 - Vir Nirvana Samvat 2488, A.D. 1962)
(Devanagari transliteration).

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: ४० : वैशाख : २४८८
आ उत्सव वखते श्री दि. जैन महामंडळ (सोनगढ) नी साधारण
सभानुं अधिवेशन थयुं. तेमां भाग लेवा माटे दूरदूरना लगभग घणा
मुमुक्षुमंडळना प्रतिनिधि आव्या हता अने नवीन उत्साहना वातावरणमां
महामंडळनुं अधिवेशन थयुं. त्रण वर्ष माटे कार्यकारिणी कमिटीनी चुंटणी थई
हती. तेना प्रमुख श्री रामजीभाई माणेकचंद दोशी, उपप्रमुख श्री नवनीतलाल
चुनीलाल झवेरीने नीमवामां आव्या हता. श्री नेमीचंदजी पाटनीए उत्साह
सहित भाग लईने ते कार्यवाहीने सफळ बनावी हती. श्री नेमीचंदजी पाटनी
(किशनगढ) आ उत्सवमां खास भाग लेवा आव्या हता. संस्थाना
विकासनी योजनाओमां तेमनी उपयोगी सलाह मळती रहे छे.
श्री नवनीतभाई सी. झवेरी मुंबईमां मुमुक्षु मंडळमां हरेक प्रवृत्तिमां
खुब उत्साह पूर्वक भाग ले छे. पोताना धर्मपत्नि सहित हंमेशा शास्त्र
प्रवचनमां आवे छे. सोनगढमां पण पू. गुरुदेवना प्रवचनो सांभळवा
वारंवार आवे छे अने
तत्त्वज्ञानने सारी रीते समजीने ग्रहण करे छे.
उज्जैनमां श्री दि. जैन स्वाध्यायमंदिरनुं तथा ता. २०–४–६२ना
मुंबई–दादरमां श्री दि. जैन मुमुक्षुमंडळद्वारा थनारा श्री दि. जिनमंदिरनुं
खातमुहूर्त (शिलान्यास) ना उत्सवो तेमना शुभहस्ते थया हता. पू. श्री
गुरुदेव कानजीस्वामी द्वारा सत्साहित्यनो तथा सत्यस्वरूपनो वेगवान वधुने
वधु प्रचार देशभरमां हरेक स्थळे सारी रीते थाय एवी एमनी खुब भावना
छे अने ते माटे तन–मन–धन लगावे छे.
श्री दीपचंदजी शेठीया (सरदार शहेर) जेओ २२ सालथी पू.
कानजीस्वामी गुरुदेवना परमभक्त, परिक्षाप्रधानी, प्रौढ तत्त्वविचारक,
वैरागी, विशेष धर्मसंस्कारवान, आत्मार्थी छे. आत्महितमां ज प्रवृत्ति अने
प्रचारद्वारा जेमनुं नाम बहु प्रसिद्धिने पामेल छे. ३प वर्ष पहेलां साठ लाख
रूपीया तेमना मामाजी वारसामां देता हता पण वैराग्यवश न ज लीधा.
तेओश्रीनी भावना छे के पू. गुरुदेवद्वारा जे सत्यधर्मनो प्रकाश थई रह्यो छे ते
सर्वज्ञप्रणित तत्त्वज्ञाननो प्रकाश अने प्रवाह खूब वृद्धिने पामीने देशभरमां
प्रचार पामे.
पू. गुरुदेवनी आंखे मोतियाना सफळ ओपरेशन, पछी आंखे सारी
रीते प्रकाश अने प्रथम प्रवचन शरू थवाना समाचार मळतां ज आ
आनंदमय अवसर उपर ज्ञान प्रचार अर्थे श्री दीपचंदजी शेठियाजी तथा
तेमना नारायण परिवार तथा तेमनो अनेक मित्रोद्वारा