Atmadharma magazine - Ank 223
(Year 19 - Vir Nirvana Samvat 2488, A.D. 1962)
(Devanagari transliteration).

< Previous Page   Next Page >


PDF/HTML Page 5 of 48

background image
अमृत सिंचक पू. गुरुदेव
वृक्ष छाया नीचे स्वाध्याय करे छे.
आपनी शीतल छायामां आपनी अध्यात्मरस झरती
वाणी सांभळतां संसारना आताप शान्त थाय छे.
पामरने प्रभुता परखावे छे. विस्मृत चैतन्यपद
याद करावी मोक्षमार्गना अंकुरो प्रगटावे छे. आपना
उपकारनो प्रति उपकारवाळवा असमर्थ एवा अम
मुमुक्षुओना आपने परम भक्तिथी वंदन.