धर्मात्मानां अफर फरमान
वैशाख सुद बीज एटले परम प्रतापी आत्मज्ञ संत श्री
कानजी स्वामीनो मंगलमय जन्मदिन. परमार्थथी तो तेओ
निज निर्मळ पर्याय प्रगट करवा माटे जन्म्या अने अनेक
भव्य जीवोने निर्मळताना उत्पादमां निमित्तरूप थया एटले
तेमने माटे महा आनंदनुं कारण बन्या.
पूज्य गुरुदेवश्री ७२ वर्ष पूरां करी, ७३मां वर्षमां प्रवेश
करे छे. आ प्रसंगे तेमना उपदेशमांथी तारवेला केटलाक अफर
फरमाननुं स्मरण करीए:–
(१) ज्ञायक स्वभावनी द्रष्टिथी राग अने परना
कर्तापणानो अभाव अफर छे.
(२) अनेकान्तविद्यानी उपासनाथी आत्मसिद्धि अफर छे.
(३) भेदविज्ञान द्वारा आस्रव निरोध अफर छे.
(४) क्षायिक समकितीनुं सम्यग्दर्शन अफर छे.
(प) निश्चय रत्नत्रयनुं निरपेक्षपणुं अफर छे.
(६) क्षपकश्रेणिवंत आत्मानी स्वरूपरमणता अफर छे.
(७) वीतरागी देवनी वीतरागता अफर छे.