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पू. सद्गुरुदेव श्री कानजीस्वामी
जन्मजयंति महोत्सव
राजकोट (सौराष्ट्र) मां दि. जैन संघ द्वारा पू. गुरुदेवनी जन्मजयंति उत्सव माटे
तथा जैन स्वाध्याय मंदिर (प्रवचन होल) ना उद्घाटन माटे सोनगढ दि. जैन संघ सहित
पू. गुरुदेवने आमंत्रण हतुं. पू. गुरुदेव ता. २९–४–६२ना राजकोट पधार्या. नगरनी
सजावट करी, भव्य स्वागत करवामां आव्युं, बहारगाम आमंत्रण पत्रिका मोकलवामां
आवी हती. आथी महेमानोनी संख्या लगभग ६०० सुधीनी हती. ता २९ एप्रिल श्री
मोहनलाल कानजी घीया प्रवचनहोलनुं उद्घाटन थयुं एमां श्री समयसारजी तथा श्री
प्रवचनसारजी (बे महान शास्त्रो) नुं पू. गुरुदेवना शुभ हस्ते स्थापना थयुं.
मंगलाचरण सहित उत्साहपूर्वक प्रवचन थयुं. नव (९) दिवस सुधी बे वखत प्रवचन,
रात्रि चर्चा, जिनेन्द्र पूजन अने भक्तिनो सुंदर कार्यक्रम हतो. रात्रे थती चर्चामां एटलो
आनंद आवतो हतो के एक कलाक क््यां पसार थई जतो हतो ते पण मालूम पडतुं न हतुं.
ता. ४–प–६२ ना दिवसे वेदी सहित गंधकूटीवाळा नवा रथमां भगवानने
बिराजमान करी भक्तोद्वारा नृत्यगान, भक्तिनी धुन अने अनेक शोभा सहित विशाळ
जनसमुदायद्वारा जिनेन्द्र रथयात्रा काढवामां आवी जे बहु आकर्षक हती.
ता. प–प–६२ ना दिने पूज्य कानजीस्वामीनी ७३मी जन्मजयंतिनो महोत्सव
ऊजववामां आव्यो. आ अवसर उपर बहारगामथी मोटी संख्यामां मुमुक्षुओ आव्या
हता. सवारमां प्रभातफेरी, जिनेन्द्र पूजन, त्यार बाद प्रवचन थयुं हतुं. पंडित श्री
प्रकाशचंद्रजी संपादक सन्मति संदेश–दिल्ही जेओए पूज्य कानजीस्वामी जन्मजयंति विशेष
अंक, लगभग पृष्ठ १०० नो प्रकाशित कर्यो छे. जेमां भारतना खास विद्वानो, कविओ
तथा लेखकोद्वारा पू. गुरुदेवनो परिचय तथा अभिनंदन आपवामां आवेल छे. तथा पू.
स्वामीजीना जीवननो परिचय आपवामां आवेल छे. वळी तेमां केटलाक लेख खास
महत्त्वपूर्ण छे. आ अंक पंडित श्री प्रकाशचंदजी दिल्ही द्वारा पूज्य गुरुदेव तथा प्रमुखश्री
रामजीभाई आदिने भेट स्वरूप आपवामां आव्या, त्यार पछी विद्वान वक्ताओ द्वारा पू.
गुरुदेव प्रति उपकार प्रकार्शित करवामां आव्यो, परम उपकारी गुरुदेव द्वारा जे महान धर्म
प्रभावना थई रही छे एनुं विवेचन कर्युं हतुं तथा तेमना खूब खूब गुणानुवाद गाया.
श्री नवनीतभाई झवेरी (मुंबई) जेओ खास मुंबईथी आ प्रसंगमां भाग
लेवाने अहीं आव्या हता. तेओए समयसार (हिन्दी द्वितीय आवृत्ति) जे दि. जैन
मुमुक्षुमंडल (मुंबई) तरफथी प्रकाशित थयुं छे ते शास्त्र पूज्य गुरुदेवने अर्पण कर्युं अने
उत्साहप्रेरक सुंदर वर्णन करी कह्युं के पूज्य गुरुदेवनी ७२मी जन्मजयंति मुंबईमां
ऊजववामां आवी हती त्यारे जे रकम एकत्रित थई हती एमांथी समयसार आदि
छपावीने बहुज ओछी किंमते प्रचार अर्थे देवानो निर्णय थयो हतो. तेना फलस्वरूपे
समयसारजी शास्त्र आ. ७३मी जन्मजयंति पर छपाई गयेल छे. तेओए ७३×११=८०३
रूपिया ज्ञानमां दीधा. आ जयंति निमित्ते सोनगढ संस्थाने जेटला रूपिया मळ्या छे ते,
शास्त्रनुं मूल्य घटाडवामां वापरवामां आवशे.