जेठ : २४८८ : २१ :
रात्रे जैन बाळको द्वारा नाटकनो कार्यक्रम थयो, तेमां भरतनो वैराग्य तथा श्री रामचंद्रजी
अने एमना पिता श्री दसरथ तथा श्रेष्ठी, शास्त्री वगेरे द्वारा वगेरे तत्त्वचर्चा अने सुंदर संवाद
थयो.
पूज्य गुरुदेवनां प्रवचन तथा रात्रि चर्चा अत्यंत आकर्षक होवाथी राजकोटना जैन अने
जैनेतर भाईओ भक्तिथी वारंवार गद्गद् थईने पूज्य गुरुदेवने फरीथी राजकोट पधारवानी
प्रार्थना करता हता. आ प्रकारे राजकोटनो दस दिवसनो कार्यक्रम अनेक विशेषताओने लीधे
आनंदमय रह्यो हतो.
सोनगढ (सुवर्णपुरी) ना खास समाचार
ता. १३–प–६२ थी जैन दर्शन शिक्षण वर्ग शरू थयो, छे. पूज्य गुरुदेवनी छत्रछायामां
छढाळा, द्रव्य संग्रह, बाळपोथी वगेरेनो अभ्यास कराववामां आव्यो. उत्तर भारतना
विद्यार्थीओनी संख्या वधारे प्रमाणमां हती. दिल्ही, गुना, उदयपुर, खंडवा, सनावद, ईन्दोर,
दमोह, कुरावड, सागर आदि घणां गामोथी विद्यार्थीओ आव्या हता.
वैशाख वद ६ ता. २प–प–६२ना रोज समवसरण मंदिरनी प्रतिष्ठानो २१ मो वार्षिक
महोत्सव हतो. मोटी रथयात्रा, भक्ति, जिनेन्द्र पूजन वगेरे कार्यक्रम द्वारा विशेषरूपथी उत्साह
पूर्वक आ महोत्सव ऊजववामां आव्यो हतो.
जैन स्वाध्याय मंदिरनी वरसगांठनो उत्सव
ता. २७–६–६२ श्री दि. जैन स्वाध्याय मंदिर तथा श्री समयसारजी शास्त्रनी स्थापनानो
पचीसमो वार्षिक उत्सव ऊजवायो तेमां शास्त्रने पालखीमां बीराजमान करी, वरघोडारूपे, बेंड–
वाजिंत्र, भक्तिनी धून सहित गाममां फेरवीने स्वाध्याय मंदिरमां आवीने शास्त्रनी भक्ति तथा
पूजा करी, बपोरना प्रवचन पछी शास्त्रभक्तिनो कार्यक्रम स्वाध्याय मंदिरमां ज हतो.
श्रुत पंचमी उत्सव
हर साल मुजब जेठ सुद पांचमना रोज खुब उत्साहपूर्वक उजवायो तेमां षट्खंडागमना
श्री धवलशास्त्र १६, शास्त्रोनुं पूजन, शास्त्रो पालखीमां बीराजमान करी वरघोडो तथा
स्वाध्याय मंदिरमां तेमनी शोभा करी धरसेनाचार्यना ते वखतना पवित्र प्रसंगनुं वर्णन करी
पू० स्वामीजीए प्रवचनमां श्री धरसेनादि आचार्योना गुणानुवाद करी खुब भक्तिभाव बताव्यो
हतो.
बे शहेरमां जिनमंदिर खातमुहुर्त (शिलान्यास) उत्सव
(१) जोरावरनगर (सौराष्ट्र) ता १६–प–६२ वैशाख सुद, १२ परमपूज्य श्री
गुरुदेवना परम प्रतापे श्री दिगम्बर जिनमंदिरनो शिलान्यास श्री पोपटलाल मोहनलाल तथा
तेमना धर्मपत्नी सौ. रंभाबेनना शुभहस्ते थयो. मुंबई, अमदावाद, सुरेन्द्रनगर, वढवाण,
राजकोट, पोरबंदर, लींबडी, वींछीया, थान, वांकानेर, बोटाद वगेरे गामेथी लगभग ३००
महेमानो आव्या हता.
सवारे जिनेन्द्र भगवाननी रथयात्रा, पूजन पछी विधिसहित शिलान्यास करवामां
आव्यो. श्री हिंमतलाल झोबाळियाए आ शुभ प्रसंग उपर उचित मंगळप्रवचन तथा बपोरे
जाहेर