Atmadharma magazine - Ank 225
(Year 19 - Vir Nirvana Samvat 2488, A.D. 1962)
(Devanagari transliteration).

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सु....व....र्ण....पु....री....स....मा....चा....र
विज्ञप्ति
प. पू. कानजीस्वामीनां प्रवचनो लघुलिपिमां अथवा झडपथी लखी शके ने तेनुं प्रेसमेटर तैयार करी
शके तेवा साहित्यप्रेमी जैनधर्मना अनुरागीभाईनी जरूर छे योग्यता प्रमाणे सारो पगार आपवामां
आवशे. लखो–श्री दि. जैन स्वाध्याय मंदिर ट्रस्ट, सोनगढ–सौराष्ट्र
जैनदर्शन शिक्षणवर्ग
आ साल प्रौढ उमरनां जैन भाईओ माटे ता. प–८–६२ रविवारथी ता. २४–८–६२ शुक्रवार सुधी
जैनदर्शन शिक्षणवर्ग चालशे. तेनो लाभ लेवा ईच्छनार जिज्ञासुओने सत्पुरुष श्री कानजीस्वामीद्वारा दि.
जैन धर्मना मूळ सिद्धांतोनां रहस्यमय प्रवचनोनो पण लाभ मळशे. जिज्ञासुओने रहेवा जमवानी व्यवस्था
संस्था तरफथी थशे. आववानी भावना होय तेमणे अगाउथी लखी जणाववुं
श्री दि. जैन स्वाध्याय मंदिर ट्रस्ट सोनगढ–सौराष्ट्र
जैन शिक्षण वर्ग संबंधी समाचार
जैनदर्शन शिक्षणवर्ग ता. प–८–६२ थी ता. २४–८–६२ सुधी चालशे. तेम लाभ लेवा आवनार
धर्मजिज्ञासु जैन भाईओने एक वखतनुं रेलगाडी भाडुं एक शुकनराज शिवगंजवाळा तरफथी आपवानी
भावना छे. माटे जेओ लाभ लेवा ईच्छता होय ते भाईओए अगाउथी संस्थाने लखी जणाववुं.
श्री दि. जैन स्वाध्याय मंदिर ट्रस्ट, सोनगढ सौराष्ट्र
सूचना
जे गाममां मुमुक्षुमंडळ होय तेमने खबर आपवामां आवे छे के–अष्टान्हिका, दसलक्षणपर्व आदि
खास प्रसंग उपर प्रवचनकार विद्वान बोलाववानी आवश्यकता होय तो लखी जणाववुं.
श्री दिगम्बर जैन मुमुक्षु महामंडळ प्रचार विभाग
ठे. श्री दि. जैन स्वाध्यायमंदिर ट्रस्ट, सोनगढ–सौराष्ट्र
(पांचमी आवृत्ति) मोक्षमार्ग प्रकाशक
आ ग्रंथ अन्य संस्थाओ द्वारा आठवार छपाई गयेल छे. गईसाल २० दिवसमां एकहजार पुस्तक
खपी गयां ते तेनुं असाधारण महत्व, सूचवे छे. किंमत घणी ओछी राखवामां आवी छे. पृष्ठ सं. ३९० कि०
बे रूपिया पोस्टेज अलग. (आ पुस्तक–राजकोट, वांकानेर, मोरबी, मुंबई, अमदावाद, कलकत्ता, फतेपुर
(गुजरात) तथा दाहोदमां मुमुक्षु मंडळमांथी पण मळशे.)
नवुं प्रकाशन
सन्मतिसंदेश–विशेषांक
परम पूज्य गुरुदेवनी ७३मी जन्मजयंति उपर दिल्हीथी “सन्मतिसंदेश” कार्यालय तरफथी खास
भक्तिवश, धर्मप्रभावना माटे ११८ पानांनो दळदार विशेष अंक प्रगट करेल छे. जेमां आर्ट पेपर उपर १८
चित्रो छे. तीर्थक्षेत्रोनां पण चित्रो छे. सत्पुरुषश्री कानजीस्वामी द्वारा जे महान धर्म प्रभावना थई रही छेे
तेनुं वर्णन आपवामां आव्युं छे; तथा विद्वानो द्वारा तेमनो परिचय संक्षेपमां जीवनचरित्र वगेरे खास
महत्वपूर्ण लेखो छे, (श्री कुन्दकुन्दाचार्य विषे प्राचीन शिलालेख वगेरे ऐतिहासिक लेख पण छे) जे लेखो
विद्वानो, कविओ अने लेखको द्वारा लखायेला छे लेख हिन्दी भाषामां छे.
दरेक मुमुक्षुओए वांचवा योग्य छे. किंमत बे रूपिया छे तो पण एक गृहस्थ द्वारा धर्मप्रचारार्थ एक
रूपियो राखवामां आवेल छे. पोस्टेज अलग.
श्री दि० जैन स्वाध्याय मंदिर ट्रस्ट, सोनगढ (सौराष्ट्र)