Atmadharma magazine - Ank 226
(Year 19 - Vir Nirvana Samvat 2488, A.D. 1962)
(Devanagari transliteration).

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सु.....व.....र्ण.....पु.....री.....स.....मा.....चा.....र
पूज्य गुरुदेव श्री सुख शातामां बिराजे छे, सवारे श्री मोक्षमार्ग प्रकाशक
सातमो अधिकार तथा बपोरे श्री समयसारजी सर्व विशुद्ध ज्ञान अधिकार प्रवचनमां
चाले छे.
अशाड सुदी ८ थी १प अष्टान्हिका पर्वमां–नंदीश्वर द्वीप महा महोत्सवना
दिवसोमां नंदीश्वर मंडल विधान पूजा, पंचमेरु तथा शाश्वत जिन चैत्यालय आदि पूजा
खूब उत्साह पूर्वक करवामां आवी हती. सुद १पना रोज चांदीनी गंधकूटी उपर
भगवानने बिराजमान करी कलशाभिषेक उत्सव करवामां आव्यो. अष्टान्हिका पूजन
श्री लीलावंतीबहेन उदाणी तरफथी हतुं.
श्री महावीर भगवाननो दिव्य ध्वनि छूटवानो प्रारंभ दिन अत्यंत
उल्लासपूर्वक शास्त्र पूजा आदि द्वारा भक्तिथी ऊजववामां आव्यो हतो. प. पू.
गुरुदेवश्री ए प्रवचनमां भगवान महावीर प्रभुने वैशाख सुद १०ना रोज केवळज्ञान
उत्पन्न थया पछी ६६ दिवसे विपुलाचल उपर धर्मसभामां दिव्य ध्वनि छूटयो तेनुं तथा
श्री गौतमस्वामीने गणधर पदवीनी प्राप्ति अने तेमना द्वारा द्वादशांग शास्त्र रचना
थई तेनुं तथा वीर प्रभुनी आत्म वीरता अने तेमनी महानतानुं भक्तिपूर्वक वर्णन
कर्युं.
भोपाळ–गुना वगेरे शहेरमां विद्वानोद्वारा प्रवचन, सिद्धचक्रविधान पूजा वगेरे
कार्यक्रमथी अष्टान्हिका तथा वीरशासन जयंतिना समाचार त्याना मुमुक्षु मंडळ द्वारा
आव्या छे.
दाहोद (गुजरात)
दि. जैन मुमुक्षु महामंडळना (सोनगढ–सौराष्ट्र) नी पासे दाहोद दि. जैन मुमुक्षु
मंडळ तरफथी विद्वान वक्तानी मागणी आववाथी श्री हिंमतलाल छोटालाल
झोबाळिया नंदीश्वर अष्टान्हिका पर्व उपर दाहोद मोकलवामां आव्या हतां. ता. १४–७–
६२ थी ता. १९–७–६२ सुधी तेओ ए १४ प्रवचनोनो लाभ आप्यो हतो जेमां निश्व
सम्यग्दर्शन प्राप्त करवा माटेना ऊपायो जीवादिनवतत्त्व निश्चय व्यवहार उपादान
निमित्त हेय उपादेय क्रमबद्ध पर्याय अने ते साथे अकर्तापणुं–स्वसन्मुखज्ञातापणुं
जाग्रत करनारो अपूर्व पुरूषार्थ वगेरे विषयो ऊपर तेमणे सारो प्रकाश पाडयो हतो.
जेथी धर्म प्रभावना घणी सारी थई हती.
सुमतिलाल केसरीलाल
भूल सुधारो गया अशाडना अंकना प्र. २६ना समाचारमां
दसलक्षणी पर्व ता. ४–१०–६२ ऊजवाशे एम छपायु छे तेने बदले ता. ४–९–
६२ थी १३–९–६२ सुधी ऊजववामां आवशे एम समजवुं.
धार्मिक प्रवचनो दिवसो ता. २६–९–६२ थी ३–१०–६२ एम छपाया छे तेने
बदले ता. २६–८–६२थी ३–९–६२ सुधीना समजवा.
वैराग्य समाचार
मुंबई दिगंबर जैन मुमुक्षु मंडळना सभ्य भाईश्री माणेकचंद रणछोडभाई
संघवी रे. राजकोट ना उंमर वर्ष प८ सं २०१८ ना अषाड वद ७ सोमवारे ता. २३–७–
६२ ना रोज मुंबई स्वर्गवास थयेल छे. आ देह क्षणभंगुर छे. क््यारे छूटशे तेनो
भरोसो नथी माटे धर्म साधना करी लेवी आ प्रसंग वैराग्य प्रेरक छे.