Atmadharma magazine - Ank 227
(Year 19 - Vir Nirvana Samvat 2488, A.D. 1962)
(Devanagari transliteration).

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ATMADHARMA Regd. No. B 5669
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आ ‘दसलक्षणी पर्व’ ना दिवसो ते खरेखर आराधनाना दिवसो छे. रत्नत्रयाधर्मनी
विशेषपणे परिउपासना करवा माटे आ धर्मदिवसोने सनातन जैन शासनमां ‘पर्युंषण पर्व’ कहेवाय
छे.... आराधना आ महापवित्र पर्वनो अपार महिमा छे. जेम नंदीश्वर अष्टाह्मिका भक्तिप्रधान पर्व
छे तेम आ दशलक्षणी पर्व आराधनाप्रधान छे.
हे जीवो! तमारी सर्वशक्तिने रत्नत्रयनी आराधनामां जोडो.
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श्री दिगंबर जैन स्वाध्याय मंदिर ट्रस्टवती मुद्रक अने प्रकाशक: हरिलाल देवचंद शेठ: आनंद प्रि. प्रेस–भावनगर