Atmadharma magazine - Ank 227
(Year 19 - Vir Nirvana Samvat 2488, A.D. 1962)
(Devanagari transliteration).

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आ अंकनी विषय सूचि
अपूर्वतानी वात सांभळता ज आनंद टां पेज नं. १
निर्गर्ंथनो पंथ भवअंतनो उपाय छे. पृ. ३
शाश्वत अकषाय स्वरूपनी द्रष्टि ” ४
सम्यग्द्रष्टि निःशंकित आदि गुण. ” ८
सुखना उपायनी शरूआतमां पण प्रज्ञाछीणी ” ११
द्रव्योना कारण–कार्य ” १प
अन्य द्रव्य अन्य द्रव्यने गुण (पर्याय) उपजावी शकतुं नथी ” २०
८ धर्म २१
सुवर्णपुरी–सोनगढ समाचार
परम उपकारी पू. गुरुदेव श्री सुखशान्तिमां बिराजे छे. सवारे
समयसारजीमांथी ४७ शक्ति उपर तथा बपोरे श्री कविवर धनंजय कृत
विषापहार स्तोत्र उपर प्रवचन चाले छे.
ता २१–८–६२ ना रोज समयसार गा. ४१प मी पूर्ण थई ते दिवसे
श्री कुन्दकुन्दाचार्य, श्री अमृतचंद्राचार्य आदि आचार्य देवनो परम महिमा
बतावी पू० गुरुदेवश्रीए समयसार (शुद्धात्मा) अने तेनी प्राप्तिना अफर
उपायो विषे अद्भुत वर्णन कर्युं हतुं.
आ वर्षे प्रौढ जैन दर्शन शिक्षण वर्गमां हिन्दीभाषी भाईओनी संख्या
१६० उपरान्त हती. ते कारणे वर्ग चालु हतो ते दरम्यान पू० गुरुदेव हिन्दी
भाषामां प्रवचनो आपता हता रात्रि चर्चामां जीज्ञासुओना अनेक प्रश्नोनुं
स्पष्टपणे निराकरण करवामां आवतुं हतुं.
जैन दर्शन शिक्षण वर्गमां उत्तर तथा मध्य भारतथी आवनारा खास
जीज्ञासु श्रोताओनी संख्या उपरांत गुजराती भाईओ हता. कुल संख्या
लगभग २१० उपर हती. शिक्षण विभागमां चार वर्ग चालता हता. अने
तेओ सर्वेए अत्यंत उल्लासपूर्वक अभ्यास कर्यो हतो.
उत्तम वर्गमां केटलाक प्रश्नो अति विस्तारथी शास्त्राधार सहित
समजाववामां आव्या हता. तथा जैन सिद्धांत प्रश्नोत्तरमाळा अने जैन तत्त्व
मीमांसा चलाववामां आव्या हता. मध्यम वर्गमां द्रव्य संग्रह तथा जैन
सिद्धांत प्रवेशिका प्रथम वर्गना बे विभाग हता तेमां जैन सिद्धांत प्रवेशिका
तथा छ ढाळा चालता हता.
विद्वानोने धार्मीक पर्व पर अहींथी मोकलवा माटे बहारगामथी घणी
मागणीओ आवेल अने नव शहेरोमां मोकलवानी व्यवस्था थई शकी छे.