Atmadharma magazine - Ank 228
(Year 19 - Vir Nirvana Samvat 2488, A.D. 1962)
(Devanagari transliteration).

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आसो : २४८८ : २३ :
बतावीने तेनुं अतिशय स्पष्ट सुंदर प्रतिपादन करीने दिल्ही जैन समाजने अतिशय आनंद अने धर्म
वात्सल्यनुं आप कारण बन्या छो. श्री बाबुभाईए रात्रि दिवस ८ थी १० कलाक प्रवचन, शंका समाधान,
जिनेन्द्र भगवाननी पूजा, भक्ति वगेरे द्वारा सतत् पोतानी असाधारण नम्रता, धीरज सहित विद्वतानो
लाभ आप्यो छे.
वैदवाडा खंडेलवाल दि. जैन मंदिर पंचायत तरफथी आपने सन्मान पत्र देवामां आवेल छे. दिल्हीथी
मुमुक्षु मंडळना प्रमुख श्री सुरेन्द्रकुमारजी तथा मंत्री श्री श्रीपाळजी द्वारा आवेल समाचार घणा विस्तारथी छे
पण तेने अहीं टुंकाववामां आव्या छे तेनो सार ए छे के–
परम उपकारी पू. गुरुदेवे बधाने ज्ञानी बनावी दीधा छे. कोई पण कोईथी कम नथी. अपूर्व ज्ञाननो
भंडार खोली दीधो छे. तमाम जैन समाज सोनगढनी प्रशंसा करे छे अने ईर्षा वश गलत प्रचार करी गलत
फहमी फेलावनारनी वातो जूठी साबीत थई गई छे. भूलथी निंदा कर्यानो पश्चाताप पण केटलाको करता हता.
आशरे ४०० उपरान्त भाईओ १० मैल दूर सांभळवा आवता अने रात्रे ११ वाग्ये घेर पहोंचता
हता. आ युगमां सत्पुरुष निमित्तथी अमने अपूर्व वस्तु सांभळवानो अवसर मळ्‌यो ते अमारूं महान
भाग्य छे. जे अमने पू. गुरुदेव श्री कानजीस्वामीए संभळाव्युं छे ते चीज तमाम जनता प्रसन्नचित्तथी
जराय घोंघाट कर्या विना सांभळता हता. सभामां संख्या प००, ७००, ८०० सुधी अने बाबुभाई ज्यारे
भक्ति करावता हता त्यारे १०००, संख्या थती हती.
प्रवचन बहु ज सुंदर पद्धतिथी मनोहर ढंगथी थतुं हतुं. प्रभुना दर्शन कई रीते करवा जोईए. भक्ति,
सामायिक, उपवास, व्रत सोलह कारण भावना तथा पूजा कोने कहेवाय. उत्तम क्षमादि दस धर्ममां निश्चय–
व्यवहार शुं? तथा तत्त्वार्थ सूत्रना दिव्य विवेचन द्वारा जैन धर्मनुं अपूर्व महत्व हृदयथी ओतप्रोत थईने
समजावता हता. आजथी ज लोको वारंवार प्रार्थना करे छे के आवती साल माटे पधारवानी कृपा करे अने
पू. कानजीस्वामीनी जन्म जयंति अवसर उपर खुद स्वामीजी दिल्ही पधारे एम विनंती करेल छे. (श्रीपाल
जैन मंत्रीथी)
(३) मुंबई (घाटकोपर) दि. जैन मुमुक्षु मंडळना आमंत्रणथी श्री प्राणलाल शाह त्या नव दिवस
रही दिवसमां त्रण वखत पूज्य गुरुदेवनो परम उपकार प्रकाशित करवा उपरान्त श्री समयसारजी कर्ताकर्म
अधिकार, पंचास्तिकाय तथा मोक्षमार्ग प्रकाशक उपर व्याख्याने कर्या हता. सभामां प०० सुधी संख्या थती,
श्री नेमिनाथ भगवाननी रथयात्रा, अभिषेक, पूजन वगेरे कार्यक्रममां जैन समाजे घणो ज उत्साह भर्यो
भाग लीधो, पूज्य गुरुदेवना पूनित प्रतापे आ मंडळ आगळ वधी शकशे एम सर्व कार्यकर्ताना उल्लास
उपरथी जणाई आवे छे श्री प्राणलालभाईए अमदावादथी अत्रे पधारीने जे महा अमूल्य लाभ आप्यो छे
ते बदल घाटकोपर दि. जैन मुमुक्षु मंडळ घणो आभार माने छे. सवारे बपोरे अने रात्रे त्रण वखत प्रवचनो
आपीने सर्वज्ञ भगवानना सिद्धांतो समजाववामां संपूर्ण सफळ थया छे. तेओश्रीना अत्रे वसवाट दरम्यान
ठेरठेर भक्तजनो तत्त्वज्ञाननी वार्तामां मशगुल बन्या हता, ते पण तेओश्रीना मार्मिक तेम ज सचोट
प्रवचनोने आभारी छे. भाईश्री प्राणलालभाई भविष्यमां पण आवो ज सुंदर सहकार आपता रहेशे. एवी
अभ्यर्थना ली. घाटकोपर दि. जैन मुमुक्षु मंडळ मुंबई–हा–रसीकलाल मानद मंत्री.
(४) खंडवा (म. प.) :– दि. जैन मुमुक्षु मंडळना आमंत्रणथी बुलंद शहेरवाळा श्री कैलासचंदजीने
मोकलवामां आव्या हता. लखे छे के ‘१प दिवस सुधी अत्यंत उत्साहथी लगभग १० कलाक सुधी हंमेशा
द्रव्य–गुण–पर्याय जैन सिद्धांत प्रवेशिकामांथी चार अभाव, पांच भाव, सात तत्त्व निमित्त–नैमित्तिक
संबंधना विषय उपर बहु ज सरल, स्पष्ट अने प्रभावपूर्ण प्रवचन कर्युं. साथे जैन शिक्षण वर्ग चलावी
अपूर्व जागृति पेदा करी छे. हाईस्कूलमां पण एक दिवस जाहेर प्रवचन तथा एक कलाक शंका समाधाननो
कार्यक्रम राख्यो हतो.