Atmadharma magazine - Ank 228
(Year 19 - Vir Nirvana Samvat 2488, A.D. 1962)
(Devanagari transliteration).

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: २२ : आत्मधर्म : २२८
दसलक्षण पर्व संबंधी
बहारगामना खास समाचार
विद्वानो माटे आ पर्व उपर बहार गामथी आमंत्रण आवेल ते मुजब १२ गाममां सोनगढ दि० जैन
मुमुक्षु महामंडळना प्रचार विभाग तरफथी विद्वानोने मोकलवामां आवेला, तेमां जे गामथी समाचार आव्या
छे तेमांथी जाणवा योग्य हकीकत नीचे मुजब छे.
(१) ईन्दौर:– श्री खीमचंदभाई जेठालाल शेठ माटे दि० जैन समाजवती धर्मरत्न श्रीमंत शेठ
श्री राजकुमारसिंहजी द्वारा आमंत्रण हतुं. भादरवा सुदी ४थी १प सुधी दिवसमां त्रणवार
व्याख्यानोमां पू. गुरुदेव द्वारा जैनधर्मना सिद्धांत अनुसार तत्त्वज्ञाननो उपदेश थई रह्यो छे. तेनुं
स्पष्टीकरण तथा जिनेन्द्रभगवाननी अष्टद्रव्यथी पूजानुं पारमार्थिक अर्थ सहित स्पष्टीकरण करवामां
आव्युं हतुं ईन्दौरना समस्त जैनसमाजे घणो लाभ लीधो. आ संबंधना समाचारमां श्री प्रकाशचंद्रजी
पांडया लखे छे के–
ता. १४–९–६२
ईन्दौरमां परमपुनीत दस लक्षण पर्वमां जैन समाज ईन्दौर द्वारा आमंत्रित आध्यात्मिक प्रखर जैन
विद्वान पं. खीमचंदभाई जे. शेठ द्वारा दस दिवस सुधी प्रतिदिन सवारे, बपोरे, रात्रे, सरल, सरस, निर्भिक
तेमज ओजस्वी प्रवचनो थयां, जेथी जैन समाज तथा विशेषपणे नवयुवक वर्ग–अत्याधिक प्रभावित थयो.
पंडितजीए गलत मान्यताओनुं समाधान करीने वस्तुतत्त्वने अतिशय स्पष्ट रूपमां समजाव्युं. पंडितजीए
यथार्थ श्रद्धा, जिज्ञासा तथा आचरणथी पोताना आत्माने सर्व प्रथम समजवानी मार्मिक आपील करी हती.
सभामां हंमेशा धर्म जिज्ञासुओनी बे हजार आशरे संख्या रहेती हती.
जैन समाज ना माननीय श्री मिश्रिलाल गंगवाल (मध्य प्रदेशना वित्तमंत्री महोदय) ना
प्रमुखपणामां धर्मस्नेह अने कृतज्ञताना प्रतीकरूपे पं. खीमचंदभाई शेठने सन्मानपत्र अपूर्व वातावरणमां
सादर समर्पण करवामां आव्युं हतुं.
आ अवसर पर जैनरत्न शेठ श्री राजकुमारसिंहजी विद्वद्वर्य पं. श्री नाथुलालजी न्यायतीर्थ, श्री
ईन्दौरीलाल बडजात्या एडवोकेट, श्री बाबूलालजी पाटौदी (विधानसभा सदस्य) आदि विद्वानो द्वारा
अद्भूत भाषण थया. जेमां श्री खीमचंदभाई शेठनुं उदात्त चारित्र, प्रज्ञा, विचिक्षणता, उत्तम प्रतिभा तथा
अध्यात्मशास्त्रनी गंभीर विवेचना–सरल अने बोधपूर्ण पद्धतिथी व्यक्त करवानी अपरिमेय शक्तिनी
प्रशंसा करवामां आवी हती. आबाल, युवक, वृद्धो तथा संस्थाओ तरफथी पंडितजीनुं स्वागत करीने तेमना
माध्यमथी समाजे सद्गुरुदेव परम पूज्य श्री कानजीस्वामी प्रत्ये पोतानी श्रद्धानां पुष्प समर्पण कर्यां हतां.
पंडितजीनां प्रवचनोए खास करीने शिक्षित वर्ग अने नवयुवकवर्गने अतिशय प्रभावित करेल छे. तथा
तेओनी जिज्ञासा तथा आस्थाने स्थिर अने प्रबळ करेल छे.
ली.
प्रकाशचंद्र पांडया
मंत्री
श्री दि. जैन मुमुक्षु मंडळ, गोराकुंड, ईन्दोर
(२) दिल्ही–श्री दि. जैन नया मंदिर २प१प, १ धर्मपुरा श्री दि. जैन मुमुक्षु मंडळ द्वारा खास
आमंत्रणथी श्री बाबुलाल चुनीलाल महेता (फतेपुरवाळा) ने मोकलवामां आव्या हता. दस लक्षण पर्वमां
करौलबाग, पहाडीधीरज, पहाडगंज, वैदवाडा जिनमंदिरमां कार्यक्रम हतो. तथाभारत जैन महामंडल तरफथी
विश्व मैत्री दिवस–क्षमायाचना पर्व ता. १६–९–६२नी विराट सभामां सर्व प्रथम प्रवचन श्री बाबुभाईनुं
हतुं. परम उपकारी पू. गुरुदेवे जैन धर्मनो प्रकाश फेलाव्यो छे तेनी महानता श्री बाबुभाई द्वारा