आसो : २४८८ : २प :
करणानुयोग शास्त्र धवळ जयधवळ शास्त्र तथा पंचाध्यायी तत्त्वार्थ सूत्र, सर्वार्थ सिद्धि टीका, आलाप
पद्धति जैन तत्त्व मीमांसा आदि अनेक ग्रंथोना सफळ संपादक तरीके तेमनुं स्थान अजोड छे. पू.
गुरुदेव समयसारजी आदि शास्त्रोमांथी अनुभवपूर्ण मोक्षमार्गनो जे प्रकाश प्रगट करी रह्या छे तेने
शास्त्राधार सहित पं. जी स्पष्ट करीने समाज सामे सुंदर ढंगथी रजु करे छे. तेमनी प्रवचन शक्ति घणी
प्रशस्त छे.
(९) चोटीला:– (सौराष्ट्र) दि. जैन संघना आमंत्रणथी प्रचार विभाग, दि. जैन मुमुक्षु
महामंडळ, सोनगढ, उपर पू. गुरुदेवना प्रवचनो माटे श्री मधुकरजीने मोकलवानी मागणी हती. त्यां ७
दिवस माटे मधुकरजीए दिगम्बर जैन मंदिरमां टेपरील मशीन द्वारा पूज्य गुरुदेवना प्रवचनो, भक्ति
वगेरे कार्यक्रम राखेल, धर्मप्रभावना सारी रीते थयेल. मधुकरजी अंकलेश्वरथी चोटीला थई प्रतापगढ
गया हता.
(१०) प्रतापगढ (राजस्थान) : दि. जैन समाज तरफथी पूज्य गुरुदेवना प्रवचनो माटे
मघुकरजीने मोकलवानुं आमंत्रण होवाथी १० लक्षण पर्व उपर त्यां सुंदर कार्यक्रम हतो. सवार सांज बे
वखत टेपरेकर्डींग तथा सांजे एक कलाक भक्तिनो प्रोग्राम हतो. जैन समाजनो खास प्रेम भर्यो आग्रह
होवाथी ता. १७–९–६२ सुधी रोकी राखेल–त्यांथी नारायणगढ, कुशळगढ, लश्कर–ग्वालीअर भीन्ड,
भोपाल, सीलवानी, गंज बांसौंदा, जयपुर सुधीनो प्रोग्राम छे.
(११) भोपाळ:– (म.प्र.) भोपाळ, ता. १९–९–६२ मुमुक्षु मंडळ भोपाळना हार्दिक
आमंत्रणनो स्विकार करी, श्री पंडित खीमचंदभाई शेठ ईन्दौर उज्जैन थई सोमवारे भोपाळ आव्या.
समाजना प्रतिष्ठित व्यक्तिओ द्वारा स्टेशन उपर भारी संख्यामां हाजर रहीने एमनुं अपूर्व उत्साह
सहित स्वागत कर्युं. जैन तत्त्वोना विशेष मर्मज्ञ आदरणीय श्री खीमचंदभाई द्वारा दि. जैन मंदिर
चोकमां ता. १७–१८ सप्टेंबर, सोमवार तथा मंगळवार बे दिवस महत्वपूर्ण प्रवचन थया. रोज बे
वखत, सवारे ८ थी ९ बपोरे २ थी ३ तथा रात्रे ९ थी १० आ टाईम उपर विशेष पणे उपरोक्त
प्रवचन सांभळवा माटे बहारथी आवेला मुमुक्षु भाईओ तथा स्थानीक जैन समाजे हजारोनी संख्यामां
हाजर रहीने आ आध्यात्मिक प्रवचनो अत्यंत रुचिपूर्वक सांभळ्या. मोटा भागना श्रोताओनुं कहेवुं
हतुं के अमारा जीवनमां अध्यात्म जेवा गंभिर विषय पर आटलुं....सरस, मधुर अने प्रभावशाळी
विवेचन सांभळवानो आ प्रथम ज अवसर हतो.” श्री पं.जी ना विशुद्ध तात्त्विक प्रवचनोना परिणाम
स्वरूप समाजनुं वातावरण अध्यात्म रसमय बनी चूकयु हतुं.
निश्चय–व्यवहार, निमित्त–उपादान क्रमबद्ध पर्याय, सम्यक् पुरुषार्थ आदि महान उपयोगी
सिद्धांतो उपर आपे सरलतम द्रष्टांतो द्वारा एटलो सुंदर प्रकाश पाडयो के जेनाथी केवळ श्रोताओनी
भ्रान्ति दूर थई एटलुं ज नहीं पण उपरान्त तेमने अपूर्व शान्ति अने आनंदनो अनुभव थयो. ता.
१८–९–६२ बपोरे ४ थी ४ाा दि. जैन मंदिर, आपनुं प्रवचन थयुं, तथा पांच माईल दूर हेवी
ईलेकट्रीकल्स पिपलानीना भाईओ द्वारा आग्रह होवाथी रात्रे ७ थी ८ सुधी त्यां प्रवचन थयुं, जेमां
घणी मोटी संख्यामां जिज्ञासुओए लाभ लीधो तथा मध्यप्रदेशना वित्त मंत्री माननीय श्री मीश्रीलालजी
गंगवाल पण आ अवसर उपर खास पधार्या हता. रात्रे शास्त्रप्रवचन पछी दि० जैन धर्मशाळामां
विशाळ जनसमुदायनी हाजरीमां दि० जैन समाज तरफथी आपनुं शानदार स्वागत कर्युं, तथा आपनी
सेवामां सन्मानपत्र (अभिनंदन पत्र) भेट कर्युं.
आ अवसर पर सर्व प्रथम श्री केवळचंदजी गुनावाळा द्वारा एक आध्यात्मिक पद संभळाववामां
आव्युं हतुं. श्री राजमलजी पवैयाए पण पू. कानजीस्वामी तथा श्री पं. जी प्रत्ये पोताना भावपूर्ण
उद्गार व्यक्त कर्या हता. पछी श्री बाबुलाल बजाज द्वारा कविता पाठ करवामां आवेल. श्री सूरजमलजी
जैन अभिनंदन पत्र वांची संभळाव्युं तथा समाजना वयोवृद्ध प्रतिष्ठित व्यक्ति श्री सिंधई
हजारीलालजी बहादुर द्वारा श्रीमान पं. जीने आ अभिनंदन पत्र भेट करवामां आव्युं हतुं.