सु.....व.....र्ण.....पु.....री.....
स.....मा.....चा.....र
परम उपकारी पूज्य गुरुदेव सुख शान्तिमां बिराजमान छे.
भादरवा सुदी प थी १४ दसलक्षणपर्वमां सवारे प्रवचनमां श्री कार्तिकेयानुप्रेक्षामांथी उत्तम क्षमादि
दस धर्मो उपर तथा श्री समयसारजी शास्त्रमांथी ४७ शक्तिओ उपर प्रवचन तथा बपोरे प्रवचनसार–
चरणानुयोग चूलिका अधिकारमांथी गाथा २३२ थी सम्यकचारित्र उपर प्रवचनो हता. अत्यारे प्रवचनसार–
चारित्र अधिकार सवारमां, तथा समयसार ४७ शक्तिओ उपर प्रवचन बपोरे चाले छे.
आ साल पण दसलक्षण पूजन मंडळ विधानपूर्वक पर्युषपणपर्व खुबखुब उत्साह अने धर्ममहिमा
पूर्वक उजवाया.
परम उपकारी पूज्य गुरुदेवना प्रवचनो तथा सतसमागमनो लाभ लेवा माटे हिन्दी भाषी धर्म
जिज्ञासुओनी संख्या वधती जाय छे. तेओने उतरवाना स्थाननी सगवड माटे जैन धर्मशाळा बांधवानुं
नक्की थयुं छे.
भादरवा सुदी प उत्तमक्षमादि दस धर्ममां प्रथम दिवसे सवारे श्री जिनमंदिरमां सुशोभित मंडपमां
मंडल विधान सहित दसलक्षण मंडल व्रत विधानपूजा शरू करवामां आवी हती. पूजाविधि पूर्ण थया पछी पू.
गुरुदेवनुं स्वाध्यायमंदिरमां प्रवचन अने त्यारपछी सवारे ९ थी १०ाा श्री जिनेन्द्र भगवानने भव्य
गंधकूटीवाळा रथमां बिराजमान करीने भव्य रथयात्रा चलाववामां आवी हती, तेमां बहारगामना
महेमानोनी संख्या घणी हती. भक्ति सहित, भजननी धून सहित वनमां जईने त्यां भव्य मंडपमां श्री
जिनेन्द्रभगवाननो शुद्ध जळथी अभिषेकपूजन बाद खुब ठाठमाठथी, भक्ति स्तवन–नृत्य–गान–हर्षनाद
जयनादपूर्वक जिनमंदिरमां आवी पहोंच्या.
मंदिरजीमां आवीने भक्तजनोए खुब उत्साहमां आवी हाथमां चामर लई नृत्यसहित भक्तिनी धून
लगावी. जिनेन्द्र भक्तिनो अपूर्व महिमा अने धर्म प्रभावनानो उत्साह प्रगट करी रह्या हता. बपोरे
प्रवचनो अने जिनमंदिरमां हंमेश मुजब भक्तिनो कार्यक्रम हतो.
सांजे एक कलाक समूहप्रतिक्रमण भाईओ तथा बहेनोमां अलग अलग तेमना स्थाने थतुं हतुं.
रात्रे हंमेशा मुजब पुरूषोनी सभामां पूज्य गुरुदेव पासे प्रश्नोत्तररूपे चर्चा हती.
भादरवा सुदी १० सुगंध दसमी–हर साल मुजब खास उत्सवरूपे उजवाई छे. व्रत करनाराओनी
संख्या घणी होय छे. जेमने दस वर्ष पूर्ण थया होय तेमना तरफथी व्रत उद्यापन निमित्त जिनमंदिरमां
ऊपकरणादि भेट वस्तुओ आवे छे.
भादरवा सुदी १४ अनंत चतुर्दशी (१) अनंत चतुर्दशीने बार मासमां विशेषपणे धर्म पर्व
मानवामां आवे छे, आजे उपवास करनाराओनी संख्या सारा प्रमाणमां हती. उत्तरप्रदेशथी खास लाभ
लेवा आवनारा भाईओनी संख्या घणी हती, तेमां मुख्य दिल्ही, भोपाळ, गुना, ईंदोर, जयपुर, उदयपुर
आदि तथा श्री नेमिचंदजी पाटनी (आग्रा) मीठालालजी, महेन्द्रकुमारजी शेठी (जयपुर) तथा सागरथी
श्रीमान शेठ श्री भगवानदासजी तथा श्री शोभालालजी तथा श्री रतनलालजी (कानपुर), टींबरनी,
गंजबांसोंदाना भाईओ उपरांत तारणस्वामी दि० जैनसमाजमां पं. जयकुमार तेओ पण पूज्य गुरुदेवनो
लाभ लेवा माटे रोकाया हता. तेओ सहू पर्यूषण दसलक्षणी पर्व माटे खास आवेला, सागरना शेठश्रीए एक
मास सत् समागमनो लाभ लीधो हतो.
आ सालना भादरवा मासमां घणा प्रकारनी विशेषताओ हती.