ब्रह्मचर्य प्रतिज्ञा वखतनुं द्रश्य
“श्री कुंदकुंद प्रवचन मंडपमां परम पूज्य
सद्गुरुदेवश्री कानजी स्वामी चौद बेनोने ब्रह्मचर्य
प्रतिज्ञा आपी रह्या छे, ते वखतनुं द्रश्य छे. कुमारिका
बेनो हाथ जोडी ऊभी छे. तेमनां मुख वैराग्य तेजे
झळकी रह्यां छे.”
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पूज्य गुरुदेव प्रतिज्ञा आपे छे “...आत्मानी
साखे, पंच परमेष्ठीनी साखे, चार तीर्थनी साखे
आखी जींदगी कायाथी, ब्रह्मचर्य पाळवुं........” पूज्य
गुरुदेव कहे छे–“आ वातनी दीकरीओने समजण छे.
मूळ स्वरूप शुं छे, तेना लक्षे आ वात छे. वीस वीस
वरसनी दीकरीओ ब्रह्मचर्य ल्ये छे, ते सांभळी जगत
छक थई जशे. दीकरीओए हिन्दुस्तानमां डंको मार्यो
छे.”