: ६ : : ब्रह्मचर्य अंक :
आत्मा एक समयमां पूर्ण आनंद स्वरूप छे, तेने भूली जईने बैरांथी ने पैसा वगेरेथी आनंद मळशे एम
मानी अज्ञानी तेमां रोकाई गयो छे. पुण्य–पाप मारुं कर्तव्य छे, तेम माननार पण तेमां ज रोकाई गयो छे.
प्रतिज्ञा आप्या बाद पूज्य गुरुदेवे कह्युं के आ प्रतिज्ञा लईने चौद दीकरीओए बहु सरस काम कर्युं
छे. आ वातनी दीकरीओने समजण छे. मूळ स्वरूप शुं छे, तेना लक्षे आ वात छे. दीकरीओए हिंदुस्तानमां
डंको मार्यो छे. छ दीकरीओए सं. २००प मां ब्रह्मचर्य अंगीकार करेल हतुं, अने बीजी आ चौदे प्रतिज्ञा लीधी,
तेथी कुले वीस ब्रह्मचारिणी बेनो थई छे. बीजाओए अनुकरण करवा जेवुं छे. पचास पचास वरसनी उंमर
थवा छतां विषयनी वृत्ति रोकी न शके, एवी वृत्ति आ दीकरीओए नानी उंमरमां रोकी छे. नानी उंमरमां
जवाबदारी लीधी छे. दीकरीओए डंका मार्या छे. अमोए कोईने कांई कह्युं नथी. बळजबरीथी कोईने प्रतिज्ञा
आपता नथी. सहजना सोदा छे. तेओए बहु सारुं काम कर्युं छे. आ बेनोए ब्रह्मचर्य प्रतिज्ञा लीधी, ते आ
बेनो (भगवतीबेनश्री चंपाबेन तथा भगवतीबेन शांताबेनने) आभारी छे. बेनोनी छत्रछायामां आ
दीकरीओनुं रक्षण थाय, अने ज्ञानमां आगळ वधे–ते बेनोनो प्रताप छे. अमारे तो कोईपण बेन साथे
परिचय नथी. बेनो साथे वातचीत करता नथी. बेनो (पूज्यभगवती बेनो) आ बधाने जाणे, एटले ज
बाळब्रह्मचारी बेनो तैयार थई छे, ते बधो प्रताप बेनोनो छे.
आ मंगळ प्रसंगे श्री जैन स्वाध्याय मंदिर ट्रस्ट अने सर्व मुमुक्षु समाज तरफथी विद्वान पंडित
भाईश्री हिंमतलाल जेठालाल शाहे चौद बेनोने धन्यवाद आप्या हता, अने तेओ पोताना ध्येयमां आगळ
वधी सफळ थाय, एवी भावना भावी हती. आ प्रसंगे तेमणे विद्वता भरेलुं भाषण कर्युं जे आ अंकमां
अन्यत्र छापवामां आवेल छे.
त्यारपछी जैन स्वाध्याय मंदिर ट्रस्टना एक ट्रस्टी धर्मप्रेमी भाईश्री प्रेमचंद मगनलाले जे भाषण
कर्युं हतुं, तेनो टुंक सार आ प्रमाणे छे.
भाषणनी शरूआतमां भाई प्रेमचंद मगनलाले चौदे बेनोनी ओळखाण आपी हती. पछी कह्युं हतुं के
आ प्रसंग व्यवहार द्रष्टिए असाधारण छे. जेने धर्मनी खबर नथी, जे पुण्यने धर्म माने छे तेने अचंबो
थाय छे के आ कार्य महान छे. पण पूज्य गुरुदेव समजावे छे के आत्मधर्मनी प्राप्तिमां आवो ब्रह्मचर्यनो
शुभराग निमित्त होय छे. ब्रह्मचारी बेनोने उद्देशीने कह्युं हतुं के तमोए तमारा कुटुंबने उजाळ्युं छे, तमारा
ध्येयमां आगळ वध्या छो, अने हजी पण तेमां विशेष वृद्धि करो, एवा अमारा आशीर्वाद छे.
जैन स्वाध्याय मंदिर ट्रस्टना प्रमुख मुरब्बी श्री रामजीभाईए कह्युं के चौद दीकरीओए हिंदुस्तानमां
डंको वगाडयो छे.
चौद बेनो आश्रममां पूज्य भगवती बेनोनो विनय करवा गई हती, त्यां ब्रह्मचर्य प्रतिज्ञा लीधी बाद
पूज्य भगवती बेनोए तेमने शिखामण आपतां कह्युं “देव–गुरु–शास्त्र प्रत्ये भक्ति वधारजो. आत्महितना
हेतुए जीवन गाळजो, बधी परस्पर बेनो तरीके वर्तजो, भक्तिभावथी रहेजो कषायनी मंदता करीने रहेवुं,
सादाईथी रहेवुं–एमां शासननी शोभा छे. स्वाध्याय करवो, मनन करवुं, रुचि वधारवी. पूज्य गुरुदेव कहे छे के
आत्मानुं कल्याण केम थाय? तेनो विचार करवो ब्रह्मचर्य प्रतिज्ञाथी निवृत्ति मळे छे. एम पूज्य गुरुदेव वारंवार
कहे छे, माटे स्वाध्याय करवा निवृत्ति लेवी. आम तमारे तमारा जीवननुं कल्याण करवुं.”
श्री जैन स्वाध्याय मंदिर ट्रस्ट तरफथी ब्रह्मचर्यनी प्रतिज्ञा लेनार दरेक बहेनने एक एक चांदीनो प्यालो
तथा एक एक साडी भेट आपवामां आवेल हतां. बपोरे जिन मंदिरमां भक्ति घणाज उत्साह पूर्वक थई हती.
एक तुम्ही आधार हो जगमें, अय मेरे भगवान
कि तुमसा और नहीं बलवान.
सम्हल न पाया, गोते खाया, तुम बिन हो हैरान
कि तुमसा और नहीं गुणवान.
* * * *
सहज स्वभाव भाव अपनाउं पर परिणतिसे चित्त हटाउं,
पुनी पुनी जगमें जन्म न पाउं, सिद्ध समान स्वयं बन जाउं
चिदानंद चैतन्य प्रभुका है सोभाग्य प्रधान........
कि तुमसा ओर नहीं भगवान.
सांजे चौदे बेनोए श्री जिनेन्द्रदेवनी घणी भक्ति