Atmadharma magazine - Ank 235
(Year 20 - Vir Nirvana Samvat 2489, A.D. 1963)
(Devanagari transliteration).

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मंगल जन्मोत्सव अंक
प धा रो... प र मे ष्ठी भ ग वं तो!
जेम लग्न टाणे सगावहालाने मांडवे निमंत्रे छे के आ शुभ मंडपमां
अमारा मंडपमां पधारीने मंडपनी शोभा वधारजो. तेम अहीं साधक धर्मात्माने
पोताना स्वरूपनी लगनी लागी छे; ते स्वरूप–लगनीना मंडपमां सिद्ध
भगवंतोने अने पंचपरमेष्ठी भगवंतोने आमंत्रे छे के हे परमेष्ठी भगवंतो!
मारी मुक्तिना मंगल प्रसंगे मारा आंगणे... मारा चैतन्यमंडपमां पधारो.
आपना पधारवाथी अमारा मंडपनी (–अमारा रत्नत्रयनी) शोभा वधशे. हुं
विभावनो आदर छोडीने स्वभावनो आदर करूं छुं. –माटे हे सिद्धभगवंतो, हे
अर्हंतो ने हे मुनिवरो! मारी स्वभावदशाना शुद्ध आंगणे पधारो... आपने
ओळखीने हुं आपना परिवारनो थयो. आपने मारा अंतरमां साथे राखीने हुं
मारा शुद्धस्वरूपनी लगनी करुं छुं–तेने साधुं छुं. आ रीते पंचपरमेष्ठी
भगवंतोना बहुमानपूर्वक पोताना शुद्धस्वरूपनो आदर करीने साधक जीव
सिद्धपदने साधे छे. (पू. गुरुदेव)