आत्मधर्मः४१:
मंगल जन्मोत्सव अंक
साधके मीट मांडी छे... पोताना साध्य उपर.
दक्षिण देशनी यात्रा करीने सोनगढ आव्या पछी पहेले ज दिवसे (वै. सु. तेरसे) गुरुदेवे कह्युं
के यात्रामां घणा तीर्थो जोया; तेमां य आ बाहुबली भगवाननी मुद्रा तो जाणे वर्तमान जीवंतमूर्ति
होय! एवी छे. एना सर्व अंगोपांगमां पुण्य अने पवित्रता बंने देखाई आवे छे. अहा! जाणे
वीतरागी चैतन्यरसनुं ढीम! पवित्रतानो पिंडलो थईने अक्रिय ज्ञानानंदनुं ध्यान करी रह्या छे. एने
जोतां तृप्ति थती नथी. अत्यारे आ दुनियामां एनो जोटो नथी.